सैटेलाइट तस्वीर, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
नवभारत इंटरनेशनल डेस्क: चीन गुप्त रूप से परमाणु हथियारों की नई डिजाइन पर काम कर रहा है, जिससे वैश्विक सुरक्षा पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, दक्षिण-पश्चिमी शहर मियांयांग में स्थित एक नया न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्टर इस दिशा में चीन की प्रगति का संकेत देता है। वर्तमान में, चीन दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा परमाणु हथियार भंडार रखता है, और उसकी नई रिसर्च अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता बढ़ा रही है। चीन के पड़ोसी देशों में केवल भारत और रूस ही परमाणु शक्ति संपन्न हैं, ऐसे में उसकी यह गतिविधि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए गंभीर चुनौती बन सकती है।
चीन के मियांयांग में एक अत्याधुनिक लेजर-इग्नाइटेड फ्यूजन रिसर्च सेंटर का निर्माण हो रहा है, जिसका उद्देश्य ऊर्जा उत्पादन और न्यूक्लियर हथियारों के डिजाइन में योगदान देना है। सैटेलाइट तस्वीरों से यह पता चला है कि इस सेंटर में चार प्रमुख आर्म हैं, जिनमें लेजर बीम और एक केंद्रीय प्रयोगशाला है। इसमें हाइड्रोजन आइसोटोप के साथ एक टारगेटिंग चेंबर भी मौजूद है, जहां शक्तिशाली लेजर सिस्टम मिलकर ऊर्जा उत्पन्न करने का काम कर सकते हैं। यह रिसर्च सेंटर अमेरिका के नेशनल इग्निशन फैसिलिटी (NIF) से मिलता-जुलता है. विशेषज्ञों के अनुसार, इस सेंटर का कार्य न्यूक्लियर ऊर्जा उत्पादन और रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण हो सकता है।
परमाणु नीति विश्लेषक विलियम अल्बर्क के अनुसार, NIF (National Ignition Facility) जैसी सुविधाएं चीन को मौजूदा परमाणु हथियारों के डिजाइनों में सुधार करने और भविष्य में नए बम डिजाइनों को तैयार करने में मदद कर सकती हैं, बिना किसी परमाणु परीक्षण के। इससे चीन को परमाणु विस्फोट की शक्ति का मूल्यांकन करने की क्षमता मिलती है, जबकि अन्य देशों को इसके लिए बाहरी वातावरण में परमाणु परीक्षण करने की आवश्यकता होती है।
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2020 में, अमेरिकी हथियार नियंत्रण दूत मार्शल बिलिंग्सली ने सैटेलाइट तस्वीरों का खुलासा करते हुए बताया था कि चीन के मियांयांग क्षेत्र में नए परमाणु हथियारों की रिसर्च और उत्पादन का काम चल रहा है। अब वही जगह फ्यूजन रिसर्च सेंटर के रूप में विकसित हो रही है।
यह नई सुविधा चीन को बिना बाहरी परमाणु परीक्षण किए विस्फोट की ताकत का मूल्यांकन करने में सक्षम बनाएगी। इसके अलावा, यह चीन को हाइड्रोजन जैसे स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों के उपयोग पर अनुसंधान करने में भी मदद करेगी। चीन और अमेरिका दोनों ने परमाणु परीक्षणों पर प्रतिबंध लगाने वाली संधि पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत बाहरी परमाणु परीक्षण पर रोक लगाई गई है।
चीन द्वारा विकसित किए जा रहे गुप्त परमाणु हथियार डिज़ाइन और फ्यूजन अनुसंधान से दुनिया भर में गंभीर चिंताएँ उत्पन्न हो रही हैं। नई परमाणु तकनीकों का विकास वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है। चीन की इस नई रिसर्च के चलते अन्य देशों में चिंता बढ़ गई है, और भविष्य में इसके खतरनाक परिणाम सामने आ सकते हैं।