सऊदी-पाकिस्तान डील, फोटो (सो.सोशल मीडिया)
Saudi Pakistan Defence Deal: अफगानिस्तान के बगराम एयर बेस पर दोबारा कब्जा जमाने की ट्रंप की योजना को लेकर चीन और तालिबान ने शुक्रवार को चेतावनी जारी की। यह एयर बेस रणनीतिक दृष्टि से अहम माना जाता है और अफगानिस्तान में चीन की सीमा के पास स्थित है। ट्रंप ने गुरुवार को ब्रिटेन में बयान दिया था कि वह इस बेस को वापस हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि यह चीन के परमाणु हथियार निर्माण केंद्रों के बेहद करीब है।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने घोषणा की है कि यदि आवश्यकता पड़ी तो सऊदी अरब को उसके लिए परमाणु क्षमता उपलब्ध कराई जाएगी। यह बयान दोनों देशों के बीच हुए ताज़ा रक्षा समझौते के तहत आया है। उल्लेखनीय है कि पहली बार पाकिस्तान ने खुले तौर पर स्वीकार किया है कि उसने अपने परमाणु हथियारों की सुरक्षा का दायरा सऊदी अरब तक बढ़ा दिया है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ का गुरुवार देर रात आया बयान इस हफ्ते पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हुए रक्षा समझौते की गंभीरता को दर्शाता है। दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग की परंपरा कई दशकों पुरानी रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम इजरायल को सीधा संदेश देने की कोशिश है। मिडिल ईस्ट में अब तक परमाणु हथियार रखने वाला अकेला देश इज़रायल माना जाता रहा है। यह बयान ऐसे समय में सामने आया है जब पिछले हफ्ते इज़रायल ने कतर में हमास के नेताओं को निशाना बनाकर हमला किया था, जिसमें छह लोगों की मौत हुई। इस घटना के बाद खाड़ी के अरब देशों में अपनी सुरक्षा को लेकर नई चिंताएं गहराने लगी हैं। साथ ही, गाज़ा पट्टी में चल रहा इज़रायल-हमास युद्ध पूरे क्षेत्र की स्थिरता को और हिला रहा है।
पाकिस्तानी न्यूज चैनल जियो टीवी को दिए इंटरव्यू में रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ से सवाल किया गया कि क्या पाकिस्तान की परमाणु ताकत और दुश्मनों को डराने की क्षमता अब सऊदी अरब को भी मिलेगी? इस पर आसिफ ने जवाब दिया कि पाकिस्तान ने यह क्षमता काफी पहले परमाणु परीक्षणों के दौरान हासिल कर ली थी और तब से ही उसकी सेनाएं हर तरह की जंग के लिए तैयार रहती हैं। उन्होंने आगे कहा, “हमारे पास जो भी संसाधन और क्षमताएं हैं, उन्हें सऊदी अरब के साथ इस समझौते के तहत साझा किया जाएगा।”
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गौरतलब है कि बुधवार को पाकिस्तान और सऊदी अरब ने एक अहम रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसमें तय किया गया है कि किसी एक देश पर हमला, दोनों देशों पर हमला माना जाएगा। हालांकि, अभी तक दोनों देशों ने यह साफ नहीं किया है कि इस समझौते का पाकिस्तान के परमाणु हथियारों से सऊदी अरब की पहुंच पर क्या असर होगा।
सऊदी अरब और पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम का रिश्ता नया नहीं है। माना जाता है कि सऊदी अरब ने पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को लंबे समय तक आर्थिक मदद दी थी। पाकिस्तान के रिटायर्ड ब्रिगेडियर जनरल फिरोज हसन खान ने भी कहा था कि सऊदी अरब ने कठिन समय में पाकिस्तान को खुलकर फंडिंग दी, जिसकी वजह से परमाणु कार्यक्रम चलता रहा, खासकर उस दौर में जब पाकिस्तान पर कड़े प्रतिबंध लगे थे।