
जापान की प्रधानमंत्री साने ताकाइजी। इमेज-सोशल मीडिया
Japan: जापान की नई प्रधानमंत्री साने ताकाइजी संसद में बहुत असाधारण प्रस्ताव ला रही हैं। नए प्रस्ताव से वह अपने और मंत्रियों के वेतन में कटौती कर सकेंगी। जापान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार मंगलवार को इस प्रस्ताव पर संबंधित मंत्रियों के साथ चर्चा की जाएगी।
जापानी पीएम अपने इस फैसले से सार्वजनिक सेवक वेतन कानून में संशोधन की तैयारी कर रही हैं। इस प्रस्ताव के अनुसार प्रधानमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों को उनके सांसदों के वेतन के अलावा वर्तमान में दिए जाने वाले अतिरिक्त भत्ते भी बंद किए जाएंगे।
मंगलवार को मंत्री इस प्रस्ताव की जल्द समीक्षा करेंगे। इस समीक्षा के बाद ये प्रस्ताव लागू करने के लिए संसद में पेश किया जाएगा। पीएम ताकाइची की यह पहल प्रशासनिक और वित्तीय सुधार को आगे बढ़ाने की व्यापक योजना का एक अह हिस्सा बताया जा रहा है। मंत्रियों के वेतन में कमी की लंबे समय से समर्थक रहीं ताकाइची ने अक्टूबर में अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बदलाव का वादा कर दिया था। उन्होंने द जपान टाइम्स से कहा कि मैं कानून में संशोधन पर काम करूंगी, ताकि मंत्रियों को विधायक वेतन से अधिक वेतन न मिले।
वर्तमान नियमों के अनुसार सांसदों को ह महीने 12.94 लाख जापानी येन का भुगतान किया जा रहा है। प्रधानमंत्री को अतिरिक्त 11.42 लाख जापानी येन दिए जाते हैं। जबकि, मंत्रिमंडल के मंत्रियों को 4.89 लाख जापानी येन के भत्ते मिलते हैं। वैसे, लागत-कटौती के उपाय पहले से लागू हैं। प्रधानमंत्री स्वेच्छा से अतिरिक्त वेतन का 30% वापस कर देती हैं। मंत्रियों की ओर से 20 प्रतिशत वापस किया जाता है। इससे उनके भत्ते क्रमशः 3.90 लाख जापानी येन और 1.10 लाख जापानी येन तक कम होते हैं। मुख्य मंत्रिमंडल सचिव मिनोरू किहारा ने इसक पुष्टि की है।
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स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, प्रस्ताव लागू होने के बाद एक्स्ट्रा पेमेंट ऑफिशियली रोक दिए जाएंगे। जापान इनोवेशन पार्टी (JIP) जो लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी की गठबंधन सहयोगी है, ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है। जेआईपी के सह नेता फुमिताके फुजिता ने ताकाइची के सुधार एजेंडे को लेकर कहा कि यह एक शानदार पहल है। वैसे, अभी सभी ने इस प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया है। डेमोक्रेटिक पार्टी फॉर द पीपल के नेता युइचिरो तमाकी ने इसको डिफ्लेशनरी मानसिकता का एक प्रतीक बताया। घरेलू आय बढ़ाने की कोशिशों के बीच, जो प्रस्ताव के प्रभाव को लेकर आंतरिक विभाजन का संकेत देता है। इस प्रस्ताव के समय पर सवाल उठाते हुए एक मौजूदा मंत्रिमंडल सदस्य ने माना है कि इसमें मेरी भावनाएं भी मिश्रित हैं।






