रूस-ईरान, (डिजाइन फोटो)
तेहरान: ईरान और इजरायल के बीच जारी गंभीर संघर्ष पर युद्धविराम (सीजफायर) लागू हो गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसका श्रेय खुद को देते हुए दावा किया कि दोनों देशों ने संघर्ष रोकने पर सहमति जताई है। हालांकि, इजरायल अभी भी ईरान पर युद्ध भड़काने का आरोप लगा रहा है। इसी बीच, कुछ रिपोर्ट्स में खुलासा हुआ है कि ईरान, रूस की भूमिका से नाराज है, जिसने इज़रायल और अमेरिका के खिलाफ युद्ध में आवश्यक समर्थन नहीं दिया। तेहरान, रूस द्वारा दी गई सीमित मदद से संतुष्ट नहीं है। वहीं, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी अब अपना गुस्सा व्यक्त किया है।
ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराकची हाल ही में तेहरान से रूस पहुंचे थे, जहां उन्होंने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। खबरों के अनुसार, अराकची ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई का एक पत्र भी लेकर आए थे, लेकिन क्रेमलिन ने इस बात को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया। इस मामले पर रूसी राष्ट्रपति के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा, “रूस की ईरान के प्रति अपनी स्पष्ट नीति है। कुछ तत्व रूस और ईरान के बीच मजबूत साझेदारी को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं।”
विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान के रणनीतिक सहयोगी रूस से यह उम्मीद की जा रही थी कि वह सीरिया की तरह इस बार भी एक सक्रिय और आक्रामक भूमिका निभाएगा। हालांकि, अभी तक न तो रूसी सेना ने कोई ठोस कार्रवाई की है और न ही किसी प्रकार के सैन्य समर्थन की घोषणा की गई है। इसी कारण कई विश्लेषक इसे 2024 की उस घटना से तुलना कर रहे हैं, जब सीरिया के तानाशाह बशर अल-असद को सत्ता से हटा दिया गया था। उस समय, असद को रूसी सेना की सहायता से सुरक्षित रूप से रूस पहुंचाया गया था।
ईरान की हरकत पर भड़का मुस्लिम देश कतर, राजदूत को समन भेजकर हमले का मांगा जवाब
रूस की वर्तमान स्थिति को देखते हुए विश्लेषकों का मानना है कि वह अमेरिका और इजरायल के साथ सीधे संघर्ष से दूर रहना चाहता है। यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध के कारण रूस पहले ही सैन्य और आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। ऐसे हालात में, पुतिन के लिए एक नया मोर्चा खोलना खतरनाक साबित हो सकता है।