
पाकिस्तान में महिलाओं के खिलाफ अपराध 25% बढ़े (सोर्स- सोशल मीडिया)
Violence Against Women Pakistan: पाकिस्तान में महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार बढ़ते जा रहे हैं। बीते 11 महीनों में हिंसा के मामलों में 25% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। सबसे चिंता की बात यह है कि रेप और किडनैपिंग जैसे गंभीर मामलों में भी दोषियों को सजा नहीं मिल रही है। रिपोर्ट बताती है कि कमजोर सिस्टम और जांच में देरी के कारण महिलाओं को न्याय नहीं मिल पा रहा है।
पाकिस्तान में महिलाओं की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। हिंसा और यौन अपराधों के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है, जिससे देश में कानून-व्यवस्था और न्याय व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। संस्था ‘साहिल’ द्वारा जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2025 के 11 महीनों में ही महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 25% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस रिपोर्ट को स्थानीय मीडिया ने भी 2 दिसंबर 2025 को प्रमुखता से प्रकाशित किया।
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के चार प्रांतों- इस्लामाबाद नेशनल एरिया, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और गिलगित-बाल्टिस्तान के 81 अखबारों से इकट्ठे आंकड़ों में सामने आया कि 2025 में 6,543 घटनाएं रिपोर्ट हुईं, जबकि 2024 में 5,253 मामले दर्ज किए गए थे। यह एक साल में लगभग 25% की बढ़ोतरी दर्शाता है।
जनवरी से नवंबर 2025 के बीच 1,414 हत्या, 1,144 अपहरण, 1,060 मारपीट, 649 आत्महत्या और 585 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए। रिपोर्ट में सामने आया कि 32% रेप मामलों में अपराधी पीड़िता के परिचित थे, जबकि 12% मामलों में पति ही आरोपी था। लगभग 60% घटनाएं पीड़ितों के घरों में हुईं।
नवंबर में सस्टेनेबल सोशल डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (SSDO) ने बताया कि वर्ष 2025 की पहली छमाही में इस्लामाबाद में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के 373 मामले दर्ज हुए, लेकिन किसी भी मामले में दोषी को सजा नहीं मिली। पुलिस से RTI के जरिए मिले डेटा में सामने आया कि 309 रेप और अपहरण के मामले दर्ज हुए जो सबसे अधिक थे, लेकिन उनमें से एक भी केस में न्याय नहीं हो सका।
यह भी पढ़ें: तालिबान का ‘क़िसास’ न्याय…परिवार के कातिल को 13 वर्षीय लड़के ने मारी गोली, 80000 लोगों ने देखी सजा
SSDO के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर सैयद कौसर अब्बास का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर रिपोर्टिंग होने के बावजूद एक भी दोषी को सजा न मिलना बेहद शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि सिस्टम की कमियां और धीमी जांच प्रक्रिया पीड़ितों के दर्द को और बढ़ा रही है।






