रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
India Russia Summit: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 दिसंबर 2025 को दो दिवसीय भारत दौरे पर पहुंचेंगे। इस दौरान वह नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे। यह यात्रा अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि पुतिन लगभग चार साल बाद भारत आ रहे हैं।
उनकी पिछली यात्रा दिसंबर 2021 में हुई थी, जिसके तुरंत बाद रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हो गया था और वैशिक हालात पूरी तरह बदल गए थे। इस यात्रा से पहले पुतिन ने रूस के दूसरे सबसे बड़े बैंक वीटीबी द्वारा आयोजित एक कॉन्फ्रेंस में भारत यात्रा का एजेंडा साफ किया।
राष्ट्रपति पुतिन ने बताया कि उनकी और प्रधानमंत्री मोदी की जल्द मुलाक़ात होने वाली है, जिसमें व्यापार, आयात और आर्थिक सहयोग जैसे मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि रूस अपनी ‘स्वतंत्र आर्थिक नीति’ पर काम करता रहेगा, जहां प्राथमिकता सिर्फ अपने हितों को दी जाएगी। साथ ही उन्होंने इस तथ्य पर भी जोर दिया कि पिछले तीन वर्षों में भारत और चीन के साथ रूस का व्यापार उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है।
इसी कार्यक्रम में पुतिन ने यूरोप और पश्चिमी देशों पर भी तीखे प्रहार किए। उन्होंने कहा कि अगर यूरोप युद्ध चाहता है, तो रूस अब इसके लिए पूरी तरह तैयार है। पुतिन ने आरोप लगाया कि यूरोप के पास अब ‘शांति की कोई योजना’ नहीं बची है, बल्कि वे युद्ध को बढ़ावा दे रहे हैं। दुनिया में बढ़ती अस्थिरता पर बोलते हुए पुतिन ने कहा कि कुछ देश अपने ‘एकाधिकारवादी दबदबे’ के माध्यम से दूसरों पर नियंत्रण स्थापित करना चाहते हैं। उनके अनुसार, पश्चिमी देशों का यह प्रयास असफल रहा है और आगे भी रहेगा।
रूस-यूक्रेन युद्ध, बदलते भू-राजनीतिक समीकरण, एशिया में रूस की बढ़ती आर्थिक साझेदारी, और वैशिक शक्ति संतुलन में हो रहे बदलावों के बीच पुतिन की यह भारत यात्रा विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस मुलाकात के दौरान ऊर्जा, रक्षा, व्यापार, अंतरिक्ष और रणनीतिक सहयोग जैसे क्षेत्रों में नई घोषणाएं हो सकती हैं।
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भारत-रूस संबंध दशकों पुराने हैं और कठिन परिस्थितियों में भी दोनों देशों ने अपने संबंधों को मजबूत बनाया है। ऐसे में पुतिन की चार साल बाद होने वाली यह यात्रा द्विपक्षीय रिश्तों में नई गति ला सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि बदलते अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य के बीच दोनों देश किस तरह आगे की रणनीति तैयार करते हैं।