पीएम मोदी व श्रीलंका राष्ट्रपति दिसानायके (सोर्स -सोशल मीडिया)
कोलंबो: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की श्रीलंका यात्रा केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि रणनीतिक और आर्थिक मोर्चे पर भारत की सक्रियता का स्पष्ट संदेश है। कोलंबो में ऐतिहासिक स्वागत के साथ शुरू हुई यह यात्रा भारत और श्रीलंका के बीच संबंधों को एक नई मजबूती देने की ओर बढ़ रही है। भारत के सहयोग से श्रीलंका को विकास की राह पर लाने, चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के उद्देश्य से यह दौरा अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
दोनों देशों के बीच आठ समझौतों पर हस्ताक्षर की उम्मीद है, जिनमें रक्षा, ऊर्जा और डिजिटल क्षेत्रों का खास स्थान है। पीएम मोदी ने आखिरी बार 2019 में श्रीलंका की यात्रा करी थी। वहीं 2024 में राष्ट्रपति दिसानायके ने अपनी पहली विदेश यात्रा के रूप में भारत का दौरा किया था। बता दें कि राजीव गांधी के 1987 के बाद से तीसरे भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी है जो 2019 के बाद से एक बार फिर अपनी श्रीलंका की यात्रा पर है। 2009 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी श्रीलंका की यात्रा कर चुके है।
मोदी की उपस्थिति श्रीलंका में भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति का एक अहम पहलू बनकर उभरी है। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब श्रीलंका आर्थिक संकट से उबरने की कोशिश कर रहा है और चीन द्वारा दिए गए भारी कर्ज के कारण उसकी स्थिति और जटिल हो गई है। भारत पहले भी श्रीलंका की मदद कर चुका है और अब एक बार फिर आर्थिक सहायता, ऋण पुनर्गठन और ऊर्जा साझेदारी को नए रूप में आगे बढ़ाने की कोशिश हो रही है। इसके साथ ही रक्षा समझौता पहली बार होने जा रहा है, जिससे हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की रणनीतिक उपस्थिति और मजबूत होगी।
भारत और श्रीलंका के बीच पीएम मोदी की यात्रा के दौरान डिजिटल, स्वास्थ्य, रक्षा और ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोग के लिए आठ समझौतों पर हस्ताक्षर की संभावना है। सस्ती ऊर्जा आपूर्ति को लेकर खास समझौता हो सकता है। मोदी के साथ एस. जयशंकर, अजीत डोभाल और विक्रम मिस्री भी श्रीलंका पहुंचे हैं।
भारत और श्रीलंका के बीच रक्षा सहयोग के तहत SLINEX और मित्र शक्ति जैसे सैन्य अभ्यास पहले से जारी हैं। इस दौरे में रक्षा समझौते को औपचारिक रूप मिलने से दोनों देशों के बीच समुद्री सुरक्षा और रणनीतिक तालमेल को बल मिलेगा। श्रीलंका की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए यह सहयोग बेहद अहम है।
भारत द्वारा वित्त पोषित डिजिटल पहचान परियोजना, त्रिंकोमाली ऊर्जा केंद्र और मुक्त व्यापार समझौते जैसे प्रयास दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों को नई ऊंचाई तक ले जा रहे हैं। मोदी की यात्रा से इन पहलों को और गति मिलने की उम्मीद है, जिससे श्रीलंका में भारत की भूमिका और अधिक निर्णायक होगी।
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भारत और श्रीलंका के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध मजबूत हैं, खासकर बौद्ध धर्म के जरिए। दोनों देशों के बीच समुद्री सुरक्षा में सहयोग जरूरी है, विशेषकर आतंकवाद और ड्रग तस्करी से निपटने में। सांस्कृतिक रिश्तों को और गहरा करने के लिए संयुक्त प्रयास किए जा सकते हैं।