बलूचिस्तान में बढ़ा तनाव, फोटो (सो. आईएएनएस)
Baloch Civilians Missing: एक प्रमुख मानवाधिकार संगठन ने मंगलवार को बताया कि बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना द्वारा कम से कम चार बलूच नागरिकों को जबरन गायब कर दिया गया है। संगठन ने कहा कि प्रांत में जबरन गायब करने की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और उत्पीड़न का सिलसिला जारी है।
बलूच राष्ट्रीय आंदोलन के मानवाधिकार विभाग (PANK) ने बताया कि 27 सितंबर को पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने केच जिले के गिल्ली बुलेदा क्षेत्र के दो निवासियों को अगवा कर लिया। एक दिहाड़ी मजदूर, मुराद जान को उसके खेत जाते समय जबरन गायब कर दिया गया, जबकि अब्दुल हकीम को उनके घर से अगवा किया गया।
इसके दो दिन बाद, 29 सितंबर को बुलेदा तहसील के गरदंक इलाके में एक दुकानदार शेर अली को भी पाकिस्तानी सेना ने अगवा कर लिया। साथ ही, मंगलवार को सीमा पार व्यापार में लगे ड्राइवर और पंजगुर जिले के पारूम निवासी निजार अर्ज मुहम्मद को बुलेदा से जबरन गायब किया गया, और उनकी स्थिति अभी अज्ञात है। पांक ने कहा कि बलूचिस्तान में नागरिकों का लगातार अपहरण और जबरन गायब किए जाने की घटनाएं बढ़ रही हैं, जहां लोगों को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया या जवाबदेही के निशाना बनाया जा रहा है। बलूच नागरिकों पर जारी अत्याचारों को उजागर करते हुए, पांक ने बताया कि सोमवार को पाकिस्तान समर्थित डेथ स्क्वॉड के सदस्यों ने पंजगुर के झाईन इलाके में अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें दो स्थानीय निवासी गंभीर रूप से घायल हो गए।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, हमलावर ईरान निर्मित टोयोटा कार में आए थे। घायलों की पहचान यूसुफ और उजैर के रूप में हुई है और उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। हाल ही में, बलूचिस्तान मानवाधिकार परिषद (एचआरसीबी) ने क्षेत्र में मानवाधिकार उल्लंघनों का दस्तावेजीकरण किया है। रिपोर्ट में अगस्त महीने के दौरान पाकिस्तान समर्थित डेथ स्क्वॉड और सुरक्षा बलों द्वारा 123 जबरन गायब करने और 26 हत्याओं की घटनाओं को शामिल किया गया है।
एचआरसीबी की रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2025 में जबरन गायब किए जाने के 123 मामलों की जांच की गई। इनमें से 106 लोग अभी भी लापता हैं 12 को रिहा किया गया, जबकि पांच की हिरासत में रहते हुए न्याय के बिना हत्या कर दी गई। बलूचिस्तान के नागरिक वर्तमान में पाकिस्तान से अपनी स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहे हैं।
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बलूचिस्तान के कई मानवाधिकार संगठन बार-बार चेतावनी दे चुके हैं कि प्रांत में पाकिस्तानी सेना द्वारा नागरिकों और स्थानीय नेताओं पर अत्याचार बढ़ रहा है। इसमें हिंसक छापेमारी, गैरकानूनी गिरफ्तारी, जबरन गायब करना, ‘मार डालो और फेंक दो’ जैसी नीति अपनाना, लोक व्यवस्था बनाए रखने के नाम पर नजरबंदी, और मनगढ़ंत पुलिस केस दर्ज करना शामिल है।
(एजेंंसी इनपुट के साथ)