पाकिस्तान की आबादी। इमेज-एआई
Pakistan News Today: पड़ोसी देश पाकिस्तान इस समय कई परेशानियों से दोचार हो रहा है। कई परेशानी मुंह बाये खड़ी है। आतंकवाद, भूखमरी, बेरोजगारी और सियासी संकट झेल रहे पाकिस्तान में तेजी से बढ़ती जनसंख्या ने नई मुसीबत पैदा कर दी है। बीते कुछ साल में पाक की जनसंख्या तेजी से बढ़कर 25 करोड़ 70 लाख के आंकड़े को पार कर चुकी है। जबकि, जनसंख्या वृद्धि दर और फर्टिलिटी रेट में कुछ कमी आई है।
पाकिस्तान के लिए यह स्थिति देश के कमजोर बुनियादी ढांचे और आर्थिक स्थिरता के लिए चुनौती बन गई है। यह जानकारी यूएस जनगणना ब्यूरो के ताजा आंकड़ों के आधार पर मीडिया रिपोर्ट्स में सामने आई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान अब भी दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले देशों में से एक है। सालाना जनसंख्या वृद्धि दर घटकर 1.82 फीसदी हो गई है। औरतों का औसत फर्टिलिटी रेट 3.25 बच्चे तक आ गया है। इसके बावजूद कुल जनसंख्या तेजी से बढ़ती जा रही है।
रोजगार की कमी डाल सकती है भयावह असर
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि फर्टिलिटी रेट वैश्विक प्रतिस्थापन स्तर 2.1 से काफी ऊपर है। ऐसे में आने वाली एक पीढ़ी तक जनसंख्या वृद्धि जारी रहने की उम्मीद है। अर्थशास्त्री चेतावनी दे रहे हैं कि यह रफ्तार तालीम, हेल्थ, रिहाइश और रोजगार जैसे क्षेत्रों पर 2030 और 2040 के दशक में भारी दबाव डालेगी। अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, आने वाले दिनों में पाकिस्तान में रोजगाह के लिए मौके नहीं बनाए गए तो नौजवान आबादी युवा शक्ति के बजाए सामाजिक-आर्थिक बोझ बन सकती है।
डेमोग्राफी रिपोर्ट में पाकिस्तान की तरक्की से संबंधित खामियों पर रौशनी डाली गई है। देश में जीवन प्रत्याशा सिर्फ 60.5 साल है। 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 1,000 पर 65 है। यानी एक हजार बच्चों में से 65 बच्चों की पैदा होने के महज कुछ देर बात मौत होती है। ये आंकड़े मां की सेहत, खान-पान और हेल्थ सर्विस की खामियों को उजागर करती है।
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पाक में जनसंख्या घनत्व भी तेजी से बढ़ी है। हाल के साल में देश में 333 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर तक पहुंच चुका है, जिससे जमीन और जरूरी सुविधाओं पर और ज्यादा बोझ पड़ रहा है। शहरी इलाके पहले से अनियोजित विकास, भीड़भाड़ वाली ट्रांसपोर्ट सर्विस और तेजी से फैल रही झुग्गियों से जूझ रहा। रिपोर्ट में बताया है कि बढ़ती आबादी की तुलना में बुनियादी ढांचे की तरक्की बेहत पीछे चल रही। क्षेत्रीय तुलना और खौफनाक तस्वीर पेश करती है। भारत और बांग्लादेश ने फर्टिलिटी रेट को लगभग प्रतिस्थापन स्तर तक लाया है। शिक्षा, हेल्थ पर लगातार इंवेस्ट कर डेमोग्राफी का फायदा पाया है। इसके विपरीत पाक मानव संसाधन विकास को तरजीह नहीं देता है तो अपने पड़ोसियों से काफी पीछे हो जाएगा।