मुफ्ती शाह मीर (सोर्स -सोशल मीडिया)
बलूचिस्तान: मुफ्ती शाह मीर, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का वह खास सहयोगी था, जो कई अवैध गतिविधियों में लिप्त रहा। खासकर, भारतीय नागरिक और नेवी के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव के अपहरण में उसकी बड़ी भूमिका थी। मीर सिर्फ एक धार्मिक नेता की आड़ में काम नहीं कर रहा था, बल्कि वह ISI के लिए हथियारों और ड्रग्स की तस्करी, आतंकवादी गतिविधियों और बलूच विद्रोहियों की हत्याओं में भी शामिल था। जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम नामक कट्टरपंथी राजनीतिक पार्टी का सदस्य रहते हुए उसने पाकिस्तान सरकार और सेना के इशारे पर कई गुप्त ऑपरेशन को अंजाम दिया। उसकी मौत के बाद भी उसकी कहानी पाकिस्तान की काली सच्चाई को उजागर करती है।
मुफ्ती शाह मीर का नाम पाकिस्तान की खुफिया गतिविधियों से गहराई से जुड़ा हुआ था। उसे ISI के इशारे पर आतंकवादी समूहों की मदद करने, भारत में आतंकियों की घुसपैठ करवाने और हथियारों की तस्करी करने का जिम्मा सौंपा गया था। इतना ही नहीं, वह मानव तस्करी के जरिए भी ISI के लिए काम करता था। पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्रों में वह विद्रोही समूहों की निगरानी करता था और बलूचिस्तान में पाकिस्तान विरोधी आवाज़ों को दबाने में शामिल था। सरकारी संरक्षण मिलने के कारण उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती थी।
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मुफ्ती शाह मीर का संबंध सिर्फ ISI तक सीमित नहीं था। वह पाकिस्तान की कट्टरपंथी राजनीतिक पार्टी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम का भी सक्रिय सदस्य था। इसके जरिए वह आतंकवादी संगठनों के संपर्क में रहता और भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देता। उसकी पहचान एक इस्लामिक स्कॉलर के रूप में थी, लेकिन उसकी असली सच्चाई इसके बिल्कुल उलट थी। वह नियमित रूप से टेरर कैंपों में जाता था और आतंकियों को भारत में घुसपैठ करने के नए-नए तरीके सिखाता था। मीर की मौत के साथ ही उसके अपराधों की फाइल बंद हो गई, लेकिन उसकी कहानी पाकिस्तान की काली सच्चाई को सामने लाती है। ISI ने उसे लंबे समय तक संरक्षण दिया, लेकिन अंततः वह भी उसे बचा नहीं सकी।
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मुफ्ती शाह मीर के सबसे कुख्यात अपराधों में से एक था भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव का अपहरण। जाधव, जो ईरान के चाहबहार में अपना बिजनेस चला रहे थे, 2016 में जैश अल-अद्ल के आतंकियों द्वारा अगवा किए गए। इस पूरे ऑपरेशन में ISI को मदद देने वाला मुख्य व्यक्ति मीर था। जाधव को जबरन पाकिस्तान लाकर उन पर जासूसी के झूठे आरोप लगाए गए और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई, जिस पर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने रोक लगा दी। लेकिन इस घटना ने साफ कर दिया कि पाकिस्तान की गुप्त एजेंसियां किस तरह निर्दोष नागरिकों को फंसाने के लिए अपराधियों का सहारा लेती हैं।