सुरक्षा के लिए अब पाकिस्तान को रहना होगा चीन पर निर्भर फोटो- फ्रीपिक)
नई दिल्ली: महत्वाकांक्षी चीन-पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडॉर (CPEC) पर एक बार फिर सवाल खड़े हो रहे हैं। दरअसल, कॉरिडॉर में चीन का पैसा लगा है। लेकिन, यहां काम करने वाले चीनी लोगों को भी अपनी जान गंवानी पड़ी है। साथ ही बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा के लोगों में इस प्रोजेक्ट को लेकर नाराजगी देखी जा रही है। आखिर क्या है पूरा मामला, आइए जानते हैं…
पाकिस्तान के बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में बलूच अलगाववादी सुरक्षा बलों को निशाना बना रहे है। सुरक्षा बलों पर हमले कर रहे हैं। इस दौरान चीन द्वारा बलूचिस्तान-खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र से होकर गुजरने वाले CPEC के हिस्से में आने वाले क्षेत्र में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का निर्माण किया जा रहा है। यही वजह है कि यहां काम करने वाले चीनी लोग बलूच अलगाववादियों के निशाने पर हैं। वहीं, अपने नागरिकों पर बार-बार हो रहे हमलों से चीन काफी नाराज है। क्या चीन के लिए इस क्षेत्र में अपनी परियोजनाएं शुरू करना एक बड़ी गलती थी?
क्या पाकिस्तान में होंगे चीनी सुरक्षाकर्मी तैनात?
हाल ही चीन ने इस्लामाबाद पाकिस्तानी धरती पर चीनी सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की अनुमति दी जाने की मांग की है। सवाल यह है कि क्या शहबाज शरीफ सरकार पाकिस्तानी और चीनी सेनाओं को शामिल करते हुए संयुक्त आतंकवाद विरोधी अभियान की अनुमति देगी। अगर पाकिस्तान ऐसा करता है तो यह अपनी सम्पूर्ण और असिमीत सत्ता ड्रैगन को सौंपने के समान होगा। हालांकि, पाकिस्तान द्वारा चीन के इस प्रस्ताव का विरोध करना शुरू हो गया है। बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में विरोध प्रदर्शन भी जारी है।
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चीनी कामगारों की हत्या को लेकर कॉरिडॉर पर उठाए गए कई सवाल
हाल ही में 60 अरब डॉलर की महत्वाकांक्षी चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडॉर से संबंधित परियोजनाओं पर काम किया जा रहा है। इस दौरान वहां काम कर रहे चीनी कामगारों की हत्या के चलते कॉरिडॉर पर कई सवाल उठाए जा रहे हैं। बता दें ये कॉरिडॉर पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिमी बलूचिस्तान प्रांत में ग्वादर बंदरगाह से पश्चिमी चीनी प्रांत शिनजियांग में काशगर तक लगभग 3,000 किमी तक फैला है। इसे 2013 में लॉन्च किया गया था।
बताया जा रहा है कि चीन की नाराजगी को देखते हुए पाकिस्तान अब नया पैतरा आजमा रहा है। केवल चीन को दिखाने के लिए पाकिस्तान आतंकवाद विरोधी योजना बना रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय कार्य योजना के लिए पाकिस्तान की सर्वोच्च समिति ने 19 नवंबर को बलूचिस्तान में आतंकवाद और अलगाववादी आंदोलनों को खत्म करने के लिए पूरे पैमाने पर सैन्य कार्रवाई को मंजूरी दे दी थी। समिति ने राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक प्राधिकरण (NECTA) को पुनर्जीवित करने का भी वादा किया है।
बलूचिस्तान में सक्रिय संगठनों को खत्म करने की योजना
पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल असीम मुनीर, ने सभी प्रांतों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और अन्य अधिकारियों की एक बैठक ली गई। इस दौरान सभी ने मजीद ब्रिगेड, बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी यानी BLA, BLF (बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट) और BRAS (बलूच राजी अजोई संगर) समेत बलूचिस्तान में सक्रिय आतंकवादी संगठनों के खिलाफ बड़े पैमाने पर सैन्य अभियान को मंजूरी दे दी है। सक्रिय आतंकवादी संगठनों पर पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति खराब करने के लिए निर्दोष नागरिकों और विदेशी नागरिकों को निशाना बनाने का आरोप लगाकर ये कार्रवाई की जा रही है।
चीन पाकिस्तान से इतना नाराज़ क्यों है?
दरअसल, पिछले महीने कराची एयरपोर्ट के पास अलगाववादी बलूच लिबरेशन आर्मी के आत्मघाती हमले में दो चीनी नागरिकों की मौत हो गई थी। इसके बाद मार्च में, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान या इस्लामिक स्टेट-खोरासान के सहयोगियों ने बेशम, खैबर पख्तूनख्वा में चीनी नागरिकों को फिर से निशाना बनाया गया, जिसमें पांच लोग मारे गए। एक दशक पहले सीपीईसी परियोजना शुरू होने के बाद से अब तक 21 चीनी मजदूरों की जान जा चुकी है। यही वजह है कि चीन पाकिस्तान से इतना खफा है।
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क्या वॉरियर-8 से पाकिस्तान सच में आतंकवाद खत्म कर सकता है?
पाकिस्तान ने हाल ही में संयुक्त आतंकवाद विरोधी प्रैक्टिस की योजना शुरू की है। एक बयान में कहा गया है कि पाकिस्तानी सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के बीच वारियर-VIII नाम का अभ्यास शुरू किया गया था। ये अभ्यास उत्तर-पश्चिम पाकिस्तान में एक आतंकवाद विरोधी सुविधा के लिए किया जा रहा था। दरअसल, पाकिस्तान के लिए ये आतंकवादी अब एक बड़ा खतरा बनते जा रहे हैं। ऐसे में कोई भी प्लानिंग सफल होती नजर नहीं आ रही है। पहले भी कई ऑपरेशन किए गए, लेकिन सभी असफल रहे।
यूरोप, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका में चीन का दबदबा!
बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) चीन के नेतृत्व वाली एक प्रमुख बुनियादी ढांचा निवेश परियोजना है। इसका उद्देश्य यूरेशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका में कनेक्टिविटी, व्यापार और संचार में सुधार करना है। इसमें पूरे क्षेत्र में हवाई अड्डों, बंदरगाहों, बिजली संयंत्रों, पुलों, रेलवे, सड़कों और दूरसंचार नेटवर्क का निर्माण जैसे काम शामिल हैं। अमेरिका सहित विकसित देश इस मामले में चीन को प्रभुत्वशाली मानते हैं। यूरोपीय संघ के कई सदस्यों सहित 140 से अधिक देशों ने BRI पर हस्ताक्षर किए हैं। चीन ने विकासशील देशों को 1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का कर्ज दिया है, जिससे वह विकासशील देशों के सबसे बड़े कर्जदाताओं में से एक बन गया है।
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CPEC भी BRI प्रोजेक्ट का हिस्सा है
चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर एक प्रमुख व्यावसायिक परियोजना है, जो बेल्ट एंड रोड पहल का हिस्सा है। ये पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को चीन के उत्तर-पश्चिम शिनजियांग उइघुर स्वायत्त क्षेत्र में काशगर से जोड़ने वाला एक बुनियादी ढांचा नेटवर्क है। इस परियोजना का उद्देश्य पाकिस्तान और चीन के बीच व्यापार को सुविधाजनक बनाना है। लेकिन, बलूचिस्तान के बलूच लोगों का मानना है कि पाकिस्तान सरकार उनके संसाधनों पर कब्जा कर रही है और बदले में उन्हें गरीबी में रहना पड़ रहा है।