महंगाई में डूबा पाक अब फिलिस्तीन के लिए बहा रहा आंसू ,फोटो (सो.सोशल मीडिया)
Pakistan on UN: संयुक्त राष्ट्र (UN) में आयोजित एक उच्चस्तरीय वैश्विक बैठक के दौरान पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री एवं विदेश मंत्री इशाक डार ने फिलिस्तीन को संयुक्त राष्ट्र का पूर्ण सदस्य बनाने की मांग का समर्थन किया। साथ ही, उन्होंने गाजा में लंबे समय तक चलने वाली शांति स्थापित करने, वहां खाद्य एवं मानवीय सहायता का निरंतर प्रवाह बनाए रखने तथा मानवाधिकार हनन को रोकने की अपील की।
डार ने इज़रायल द्वारा कथित तौर पर किए गए ‘युद्ध अपराधों’ की निंदा करते हुए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से तुरंत कदम उठाने का आग्रह किया। इसके अलावा, गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने फिलिस्तीन के विकास में सहयोग का भरोसा भी दिलाया।
डार ने संयुक्त राष्ट्र में हुए एक सम्मेलन के दौरान अपने भाषण में कहा, “गाजा में मानवीय सहायता को रोका जा रहा है, और शरणार्थी शिविरों, अस्पतालों तथा राहत काफिलों को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है। ये सभी घटनाएं कानूनी और नैतिक सीमाओं का उल्लंघन करती हैं।” उन्होंने जोर देकर कहा, “इस सामूहिक दंड को तुरंत रोका जाना चाहिए!”
यह सम्मेलन, जिसका आयोजन सऊदी अरब और फ्रांस ने संयुक्त रूप से किया था, “फिलिस्तीन मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान और द्वि-राष्ट्र सिद्धांत को लागू करने” पर केंद्रित था।
डार ने हाल ही में कुछ यूरोपीय देशों द्वारा फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने के निर्णय की सराहना करते हुए कहा, “हम फ्रांस के इस ऐतिहासिक फैसले का समर्थन करते हैं और उन देशों से अपील करते हैं जिन्होंने अभी तक फिलिस्तीन को मान्यता नहीं दी है, कि वे इस वैश्विक पहल में शामिल हों और फिलिस्तीनी राज्य को औपचारिक रूप से स्वीकार करें।”
उन्होंने आगे कहा कि गाजा पट्टी वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवीय मूल्यों के लिए एक श्मशान बन गया है। डार ने बताया, “इजरायल की कार्रवाइयों के कारण अब तक लगभग 60,000 से अधिक फिलिस्तीनियों की जान जा चुकी है, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। यह अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून, संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के निर्देशों की खुली अवहेलना है।”
पाकिस्तान के प्रतिनिधि डार ने कहा कि उनका देश फिलिस्तीन के मुद्दे पर सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी तक सीमित नहीं रहना चाहता, बल्कि वह फिलिस्तीन के संस्थागत और मानवीय विकास में ठोस योगदान देना चाहता है। उन्होंने जोर देकर कहा, “पाकिस्तान सार्वजनिक प्रशासन, स्वास्थ्य, शिक्षा और सेवा वितरण जैसे अहम क्षेत्रों में फिलिस्तीनी प्रशासन के साथ मिलकर तकनीकी सहायता और क्षमता विकास में सहयोग करने के लिए तैयार है।”
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साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान अरब देशों और ओआईसी (इस्लामिक सहयोग संगठन) की योजनाओं के साथ-साथ किसी भी अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था के तहत फिलिस्तीनी संस्थानों के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने को तैयार है। अपने संबोधन के अंत में डार ने कहा, “न्याय में देरी भी एक तरह का अन्याय है। लेकिन जब पीढ़ियों तक न्याय से ही वंचित रखा जाए, तो उसके परिणाम और भी भयावह होते हैं।”
पाकिस्तान का यह समर्थन ऐसे समय में सामने आया है, जब वह खुद गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। भारी विदेशी ऋण के बोझ के चलते उसे बार-बार IMF और अन्य अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं से मदद की अपील करनी पड़ रही है। ऐसे में फिलिस्तीन के पुनर्निर्माण के लिए तकनीकी और आर्थिक सहायता का वादा करना कई तरह के सवाल खड़े करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम मुख्यतः प्रतीकात्मक है और इसका उद्देश्य केवल कूटनीतिक और नैतिक समर्थन जताना है, क्योंकि पाकिस्तान की वास्तविक आर्थिक स्थिति ऐसी सहायता देने की अनुमति नहीं देती।