मौत की सजा | Pixabay
इस्लामाबाद : पाकिस्तान दुनिया के उन देशों में शामिल है, जो सबसे अधिक मौत की सजा देता है। एक गैर-सरकारी संगठन की ताजा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि वैश्विक स्तर पर मौत की सजा का सामना कर रहे कैदियों में से 26 प्रतिशत पाकिस्तान में हैं। बृहस्पतिवार यानी 10 अक्टूबर को जारी रिपोर्ट के अनुसार 2024 में पाकिस्तान में कुल 6,161 कैदियों को मौत की सजा का सामना पड़ा था, जबकि 2023 में यह संख्या 6,039 थी। इस तरह के कैदियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, जो पिछले सालों के रुझानों के मुकाबले कहीं अधिक है।
लाहौर स्थित गैर-सरकारी संगठन ‘जस्टिस प्रोजेक्ट पाकिस्तान’ (जेपीपी) द्वारा जारी वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में मौत की सजा पाने वाले कैदियों की संख्या 3,226 थी, जो अब दोगुने से अधिक हो गई है। 22वें विश्व मृत्युदंड विरोधी दिवस पर पेश की गई इस रिपोर्ट का शीर्षक है “पाकिस्तान में मृत्युदंड: मृत्युदंड का डेटा विश्लेषण”।
रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के विभिन्न प्रांतों में मृत्युदंड पाने वाले कैदियों की संख्या भी काफी अलग है। पंजाब प्रांत में सबसे ज्यादा 2,505 कैदी मौत की सजा का सामना कर रहे हैं, जबकि खैबर पख्तूनख्वा में 2,311 कैदी इस सजा का इंतजार कर रहे हैं। जेपीपी के आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान मृत्युदंड का सबसे अधिक उपयोग करने वाले देशों में से एक है, जिससे यह दुनिया में सबसे चिंताजनक स्थिति में है।
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रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान में कुल मृत्युदंड पाने वाले कैदियों का आंकड़ा विश्व स्तर पर 13 प्रतिशत है। यह संख्या अत्यधिक चिंताजनक है, क्योंकि वैश्विक स्तर पर हर सातवां कैदी, जिसे मौत की सजा सुनाई जाती है, पाकिस्तानी है, और हर आठवां व्यक्ति जो मृत्युदंड का सामना कर रहा है, वह भी पाकिस्तानी है।
हालांकि, रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि पाकिस्तान में दिसंबर 2019 के बाद से किसी भी व्यक्ति को मौत की सजा नहीं दी गई है, फिर भी देश में 31 से अधिक अपराधों के लिए फांसी की सजा का प्रावधान है। यह स्थिति सुधार की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है।
जेपीपी की यह रिपोर्ट पाकिस्तान में मृत्युदंड के बढ़ते आंकड़ों पर गंभीर चिंता व्यक्त करती है और इसे विश्व स्तर पर मृत्युदंड का सबसे अधिक उपयोग करने वाले देशों में से एक के रूप में चिन्हित करती है, जिससे वैश्विक मानवाधिकार संगठनों के लिए यह एक बड़ा मुद्दा बन गया है।
एजेंसी इनपुट के साथ।
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