शहबाज शरीफ, फोटो (सो.सोशल मीडिया)
Pakistan News Hindi: पाकिस्तान लंबे समय से जिस सवाल से बचता आया है, उस पर अब सिंध के लेखक और शिक्षाविद असद उल्लाह चन्ना ने खुलकर चोट की है। उनका कहना है कि पाकिस्तान का मदरसा शिक्षा मॉडल न सिर्फ पुराना है, बल्कि ऐसा ढांचा बन चुका है जिसे बदलने की हिम्मत न सरकारें कर पा रही हैं और न ही धार्मिक नेतृत्व।
पाकिस्तान ऑब्जर्वर में छपे उनके विस्तृत लेख में चन्ना बताते हैं कि किस तरह शिक्षा प्रणाली की दोहरी संरचना मदरसा बनाम मॉडर्न स्कूल पाकिस्तान के भविष्य के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई है।
चन्ना के अनुसार, पाकिस्तान में मदरसों के सुधार को लेकर दशकों से वादे किए गए, कई योजनाएं शुरू हुईं, लेकिन नतीजा शून्य रहा। आज भी ज्यादातर मदरसे सरकारी रेगुलेशन और अकादमिक निगरानी से बाहर काम कर रहे हैं। वे सिर्फ धार्मिक और वैचारिक प्रशिक्षण केंद्रों के रूप में चल रहे हैं, जो आधुनिक दुनिया से पूरी तरह कटे हुए हैं।
हालांकि गरीब परिवारों के लिए ये संस्थान शिक्षा, भोजन और ठहरने की मुफ्त सुविधा देकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन बिना मॉडर्न सिलेबस और बिना सरकारी नियंत्रण के इनका प्रभाव उल्टा पड़ रहा है। चन्ना लिखते हैं कि मदरसों की बढ़ती स्वतंत्रता और सरकार की कमजोरी ने ऐसा माहौल तैयार कर दिया है जहां मॉडर्नाइजेशन को खतरा माना जाता है और कट्टरपंथ को परोक्ष रूप से बढ़ावा मिलता है।
इतिहास में झांकें तो पता चलता है कि पाकिस्तान में मदरसा सुधार की कोशिश कोई नई बात नहीं है।
लेकिन हर बार धार्मिक नेतृत्व के संगठित विरोध, राजनैतिक दबाव और प्रशासनिक हिचकिचाहट के कारण ये योजनाएँ शुरुआत से आगे नहीं बढ़ पाईं।
चन्ना के लेख का सबसे महत्वपूर्ण पहलू सरकार और धार्मिक नेतृत्व के रिश्ते पर सीधी टिप्पणी है। उनके अनुसार, पाकिस्तान की सरकारें कभी भी मौलवियों का सामना नहीं कर सकीं क्योंकि उन्हें उनकी राजनीतिक वैधता और समर्थन की जरूरत होती है। यही निर्भरता धार्मिक नेताओं को इतना शक्तिशाली बना देती है कि वे “इस्लाम की रक्षा” के नाम पर किसी भी सुधार को रोक देते हैं।
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चन्ना का तर्क है कि धार्मिक नेतृत्व और राजनीतिक व्यवस्था के इस गठजोड़ ने पाकिस्तान को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछाड़ दिया है। मॉडर्न शिक्षा जहां आगे बढ़ने का रास्ता खोल सकती है, वहीं मदरसा संरचना में सुधार न होने से देश दो अलग-अलग शैक्षणिक ध्रुवों में विभाजित होता जा रहा है।
चन्ना चेतावनी देते हैं कि यदि पाकिस्तान ने अपने मदरसा सिस्टम में पारदर्शिता, मॉडर्न विषयों और सरकारी निगरानी को जल्द शामिल नहीं किया, तो यह विभाजन भविष्य में और गहरा फासला बन जाएगा।