पाकिस्तान ने दी अफगानिस्तान को दी सैन्य कार्रवाई की धमकी, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Taliban Pakistan Tension: इस्तांबुल में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच नई शांति वार्ता की शुरुआत से पहले ही हालात तनावपूर्ण हो गए हैं। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक टेलीविजन इंटरव्यू के दौरान अफगानिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की धमकी देकर कूटनीतिक रिश्तों में और खटास पैदा कर दी है।
जब एक पत्रकार ने आसिफ से पूछा कि क्या तालिबान से निपटने के लिए सैन्य टकराव ही आखिरी विकल्प है, तो उन्होंने सीधा जवाब दिय “जंग होगी।” आसिफ ने अफगान तालिबान सरकार पर आरोप लगाया कि काबुल आतंकवादियों को पनाह दे रहा है और सीमा पार से हो रहे हमलों को नजरअंदाज कर रहा है।
पाकिस्तान में हाल के महीनों में आतंकवादी हमलों में बढ़ोतरी हुई है। इस्लामाबाद का दावा है कि इन हमलों के पीछे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) का हाथ है, जिसे अफगानिस्तान में तालिबान शासन से शरण मिल रही है। वहीं, काबुल इन आरोपों को कड़े शब्दों में खारिज करता है। अफगानिस्तान का कहना है कि उसके क्षेत्र का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ नहीं किया जा रहा।
पाकिस्तानी मंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब इस्तांबुल में शांति वार्ता फिर से शुरू होने वाली है। इससे पहले हुई वार्ता तीखी बहस और आरोपों के बीच खत्म हुई थी, लेकिन 30 अक्तूबर को दोनों देशों ने एक संयुक्त बयान जारी कर युद्धविराम बढ़ाने पर सहमति जताई थी।
इस बार अफगान प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई तालिबान के खुफिया प्रमुख अब्दुल हक वसीक कर रहे हैं, जबकि इसमें अनस हक्कानी, सुहैल शाहीन, रहमतुल्लाह नजीब और अब्दुल कहर बल्खी जैसे वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं। पाकिस्तान की ओर से वार्ता का नेतृत्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और ISI चीफ लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद असीम कर रहे हैं।
बैठक में दोनों देशों के बीच सीमा झड़पें, ड्रोन हमले, व्यापार मार्गों का बंद होना और आतंकवाद विरोधी सहयोग जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। अफगान मीडिया टोलो न्यूज के अनुसार, इस समय 8000 से अधिक अफगान कंटेनर पाकिस्तान में फंसे हुए हैं और 4000 कंटेनर पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश का इंतजार कर रहे हैं। सीमा क्रॉसिंग बंद होने से दोनों देशों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
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शांति वार्ता से पहले पाकिस्तान के इस “जंग” वाले बयान ने यह संकेत दे दिया है कि दोनों देशों के बीच भरोसे की खाई अभी भी बहुत गहरी है। अब देखना यह होगा कि क्या इस्तांबुल की यह वार्ता तनाव कम कर पाएगी या हालात और बिगड़ जाएंगे।