
उत्तर कोरिया ने किया क्रूज मिसाइलों का परीक्षण (सोर्स- सोशल मीडिया)
North Korea Cruise Missile Test: उत्तर कोरिया ने फिर से अपनी सैन्य ताकत दिखाने के लिए लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों का परीक्षण किया है। यह परीक्षण देश की परमाणु क्षमता को परखने और अपनी सैन्य शक्ति दिखाने के लिए किया गया। इस कदम के समय उत्तर कोरिया अपनी पहली परमाणु पनडुब्बी के निर्माण में तेजी दिखा रहा है, जिससे कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव बढ़ गया है।
उत्तर कोरिया की सरकारी समाचार एजेंसी केसीएनए के मुताबिक, ये मिसाइलें रविवार को देश के पश्चिमी तट के पास दागी गई। इस दौरान उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि मिसाइल परीक्षण देश की परमाणु ताकत की विश्वसनीयता जांचने और बाहरी खतरों के सामने आत्मरक्षा सुनिश्चित करने का जिम्मेदार कदम है।
दक्षिण कोरिया की सेना ने भी पुष्टि की कि राजधानी क्षेत्र से कई क्रूज मिसाइलें दागी गई। दक्षिण कोरिया ने कहा कि वह अमेरिका के साथ मिलकर किसी भी उत्तर कोरियाई उकसावे का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है। अंतरराष्ट्रीय कानून की बात करें तो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने उत्तर कोरिया को बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण करने से रोक रखा है।
हालांकि, क्रूज मिसाइल के परीक्षण पर सीधे तौर पर रोक नहीं है। लेकिन ये मिसाइलें अमेरिका और दक्षिण कोरिया के लिए खतरनाक मानी जाती हैं क्योंकि ये कम ऊंचाई पर उड़ती हैं, आसानी से दिशा बदल सकती हैं और रडार से बच सकती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि युद्ध की स्थिति में उत्तर कोरिया इन मिसाइलों का इस्तेमाल अमेरिकी युद्धपोतों और विमानवाहक जहाजों पर हमला करने के लिए कर सकता है।
उत्तर कोरिया ने पिछले हफ्ते ही नई एंटी-एयर मिसाइलों का परीक्षण किया और परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी की तस्वीरें जारी कीं। इससे संकेत मिलता है कि इस पनडुब्बी में भविष्य में परमाणु मिसाइलें तैनात की जा सकती हैं। किम जोंग उन अमेरिका के नेतृत्व वाले सुरक्षा खतरों का सामना करने के लिए आधुनिक हथियारों को तैयार कर रहे हैं।
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि हाल में रूस के साथ उत्तर कोरिया की बढ़ती नजदीकी के चलते उसे उन्नत तकनीक मिल सकती है। अगले साल होने वाले वर्कर्स पार्टी कांग्रेस से पहले उत्तर कोरिया अपने हथियारों और प्रदर्शन बढ़ा सकता है।
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अमेरिका के साथ पिछले परमाणु वार्ता विफल होने के बाद से उत्तर कोरिया ने अपने परमाणु कार्यक्रम को और तेज किया है। सितंबर में किम ने संकेत दिया था कि अगर अमेरिका पूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण की मांग छोड़ दे, तो वार्ता फिर शुरू हो सकती है।






