ईरान के खिलाफ इसराइल को मिला अमेरिका का समर्थन
वाशिंगटन: ईरान में हमास प्रमुख इस्माइल हानिया की हत्या के बाइ इसराइल और ईरान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। इसराइल और ईरान के बीच युद्ध हो कि इसके पहले ही अमेरिका ने अपना स्टैंड क्लीयर कर दिया है। युद्ध में अमेरिका ने इसराइल को समर्थन देने को कहा है। यही नहीं दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को देख अमेरिका ने मिडिल ईस्ट में युद्धपोत और लड़ाकू विमान तैनात करने का फैसला लिया है।
अमेरिका के इस फैसले की जानकारी पेंटागन ने शुक्रवार को दी। पेंटागन ने कहा कि वह वाशिंगटन ईरान, उसके सहयोगियों हमास और हिजबुल्लाह से खतरों के बाद इसराइल की सुरक्षा को मजबूत करना चाहता है।
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लड़ाकू विमान भेज रहा अमेरिका
अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने बताया कि मिडिल ईस्ट यानी मध्य पूर्व में और यूरोप में अतिरिक्त नौसेना क्रूजर और विध्वंसक भेजने की मंजूरी अमेरिका की ओर से दे दी गई है। ये क्रूजर बैलिस्टिक मिसाइलों को मार गिरा सकते हैं। मध्य पूर्व में अमेरिका लड़ाकू विमानों का एक अतिरिक्त टुकड़ी भी भेज रहा है।
अमेरिका जवाब देने के लिए तैयार
पेंटागन ने एक बयान में कहा कि अमेरिकी रक्षा सचिव ऑस्टिन ने अमेरिकी सेना की सुरक्षा में सुधार करने, साथ ही इसराइल की रक्षा के लिए समर्थन बढ़ाने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि संयुक्त राज्य अमेरिका अलग- अलग आकस्मिकताओं का जवाब देने के लिए तैयार है। इसके लिए अमेरिकी सैन्य मुद्रा में समायोजन का आदेश दिया है।
पहले भी मिडिल ईस्ट में अमेरिकी सेना की थी तैनाती
हालांकि अमेरिकी सेना ने 13 अप्रैल से पहले ही मिडिल ईस्ट में अपनी तैनाती बढ़ा दी थी। जब ईरान ने ड्रोन और मिसाइलों के साथ इसरायली क्षेत्र पर हमला किया था। तभी अमेरिका ने आशंका जताई थी कि इस तरह का हमला फिर से हो सकता है। मौजूदा हालात देख ड्रोन और मिसाइलों को रोकने के लिए अमेरिका ने एक बार फिर से मिडिल ईस्ट सागर में रक्षा टुकड़ियों की तैनाती बढ़ा दी है।
बाइडन ने नेतन्याहू से फाेन कॉल पर की बात
बता दें कि इसराइल अब तक संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य सहयोगी देशों की मदद से तकरीबन 300 ड्रोन और मिसाइलों में से लगभग सभी को सफलतापूर्वक मार गिरा चुका है। वहीं व्हाइट हाउस ने कहा कि जो बाइडन ने गुरुवार को नेतन्याहू के साथ एक फोन कॉल में मिसाइलों और ड्रोन जैसे खतरों के खिलाफ इसराइल का समर्थन करने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने इसके लिए नई अमेरिकी रक्षात्मक सैन्य तैनाती पर चर्चा की।
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