नेपाल के ऊर्जा, जल संसाधन और सिंचाई मंत्री कुल मान घिसिंग (सोर्स-सोशल मीडिया)
India Transmission Grid Help: नेपाल अपनी अतिरिक्त बिजली को पड़ोसी देशों में बेचकर आर्थिक लाभ लेने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है। इसी क्रम में, नेपाल ने बांग्लादेश को और अधिक बिजली निर्यात करने की योजना बनाई है। इस योजना को साकार करने के लिए नेपाल को भारत के सहयोग की आवश्यकता है। नेपाल के ऊर्जा मंत्री कुल मान घिसिंग ने इसके लिए औपचारिक रूप से भारत से अनुमति मांगी है ताकि भारतीय ट्रांसमिशन लाइनों का उपयोग किया जा सके।
नेपाल के ऊर्जा, जल संसाधन और सिंचाई मंत्री कुल मान घिसिंग ने मंगलवार को भारत से एक महत्वपूर्ण अनुरोध किया। उन्होंने भारत से यह अनुमति मांगी कि नेपाल को भारतीय ट्रांसमिशन नेटवर्क का इस्तेमाल करने दिया जाए, ताकि वह बांग्लादेश को अतिरिक्त 20 मेगावाट बिजली भेज सके। वर्तमान में, नेपाल त्रिपक्षीय समझौते के तहत बांग्लादेश को हर साल 15 जून से 15 नवंबर तक 40 मेगावाट बिजली का निर्यात कर रहा है।
नेपाल का यह अनुरोध नवंबर में ढाका में हुई ऊर्जा सचिव-स्तरीय संयुक्त संचालन समिति की बैठक में हुए द्विपक्षीय समझौते के अनुरूप है। इस नए समझौते के तहत, नेपाल जरूरी प्रक्रिया पूरी होने के बाद बांग्लादेश को अतिरिक्त 40 मेगावाट बिजली बेचने की तैयारी कर रहा है। नेपाल के अधिकारियों का मानना है कि मौजूदा ट्रांसमिशन इन्फ्रास्ट्रक्चर के जरिए और ज्यादा बिजली भेजी जा सकती है, बशर्ते भारत अपनी ट्रांसमिशन लाइन का इस्तेमाल करने की अनुमति दे।
मंत्री घिसिंग ने भारत के विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव मुनु महावर के साथ बैठक के दौरान कई अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर भी चर्चा की। ऊर्जा मंत्री ने भारत से भारतीय निर्यात-आयात बैंक (EXIM Bank) की लाइन ऑफ क्रेडिट के तहत ट्रांसमिशन लाइन निर्माण के लिए अतिरिक्त फंडिंग का भी अनुरोध किया।
नेपाल के पूर्वी हिस्से में कोसी कॉरिडोर और पश्चिमी हिस्से में मोडी-लेखनाथ ट्रांसमिशन लाइन जैसे बड़े प्रोजेक्ट पहले भी इसी फंडिंग से बनाए गए हैं। दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने 2 अप्रैल 2022 को 132 केवी सोलु कॉरिडोर परियोजना का संयुक्त उद्घाटन किया था, जो नेपाल की राष्ट्रीय ग्रिड के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
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नेपाल ने भारत से एक और बड़ी मांग रखी है। मंत्री घिसिंग ने अनुरोध किया कि नेपाल को भारत के डे-अहेड और रियल-टाइम बिजली बाजार में बिजली बेचने के लिए हर साल अनुमति नवीनीकृत करने की मौजूदा शर्त को हटाया जाए।
उन्होंने मांग की कि एक बार दी गई अनुमति को स्थायी रूप से वैध कर दिया जाए। बैठक में भारत द्वारा नेपाल में विकसित की जा रही लोअर अरुण (669 मेगावाट) और अरुण-3 (900 मेगावाट) जैसी बड़ी परियोजनाओं से संबंधित वन भूमि उपयोग के मुद्दों को सुलझाने पर भी चर्चा की गई।