NATO के इस फैसले से तिलमिलाए पुतिन,
Russia Nato War: यूरोप में हालात तेजी से बदल रहे हैं। पुतिन गुस्से में हैं, वजह है नाटो का आक्रामक रुख। नाटो अब पूरी ताकत से आगे बढ़ने की तैयारी में है। दो बड़े फैसले ऐसे हैं, जो पूरे यूरोप को युद्ध की दहलीज पर खड़ा कर सकते हैं। पहला, नाटो यूक्रेन को लंबी दूरी तक मार करने वाले हथियार देने जा रहा है। दूसरा, रूस की सरहदों के पास स्थित सैन्य अड्डों पर परमाणु हथियार तैनात किए जाएंगे।
इन दोनों फैसलों के बाद से क्रेमलिन में हड़कंप मच गया है। पुतिन ने तुरंत अपनी सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाई और नाटो से सीधी टक्कर लेने की रणनीति पर मुहर लगा दी है। अब रूस चार अलग-अलग मोर्चों पर अपनी सैन्य ताकत तैनात कर रहा है। वह परमाणु हथियारों के साथ युद्धाभ्यास कर रहा है ताकि जरूरत पड़ने पर दुनिया के किसी भी हिस्से में परमाणु हमला किया जा सके।
रूस की इस वॉर ड्रिल से नाटो की नींद उड़ गई है। ज़मीन और आसमान से हमलों की तैयारी के बाद अब रूस समुद्र के रास्ते भी बड़ा हमला करने की योजना में है। इसके लिए उसने ऐसा दिन भी चुना है, जब पूरी दुनिया देख सके कि रूस जल, थल और नभ तीनों से कितनी भीषण मार कर सकता है।
रूस ने एक साथ चार मोर्चों पर युद्धाभ्यास शुरू कर दिया है और अपने सबसे घातक युद्धपोत समुद्र में तैनात कर दिए हैं। इस बार रूस ने अपनी सभी परमाणु पनडुब्बियों को सक्रिय कर रणनीतिक घेराबंदी की तैयारी कर ली है। इसके अलावा, रूसी बॉम्बर्स लगातार नाटो देशों को चेतावनी दे रहे हैं। रूस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह हर परिस्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।
रूसी बॉम्बर्स ने अलास्का की दिशा में उड़ान भरी है, जबकि आर्कटिक क्षेत्र में सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया गया है। बाल्टिक सागर में कैलिनिनग्राद के आसपास सुरक्षा घेरा बनाया गया है और कैस्पियन सागर में रूस ईरान के साथ मिलकर वॉर ड्रिल कर चुका है। यानी रूस जमीन, समुद्र और आसमान तीनों क्षेत्रों में एकसाथ सैन्य ताकत का प्रदर्शन कर रहा है, जो नाटो के लिए सीधा संदेश है। इतना ही नहीं, रूस ने ईरान के साथ गठजोड़ कर अरब क्षेत्र में अमेरिका को चुनौती देने की तैयारी कर ली है। वहीं, चीन के साथ अपनी साझेदारी को और मजबूत करते हुए दोनों देश साउथ चाइना सी में संयुक्त युद्धाभ्यास करने जा रहे हैं।
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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में सुरक्षा समिति के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की, जिसमें नाटो देशों के खिलाफ एक समन्वित रणनीति तैयार की गई। पुतिन की योजना के मुताबिक, यूक्रेन युद्ध के बाद रूस की सैन्य ताकत का दायरा और भी बढ़ेगा, जिससे नाटो के साथ सीधा टकराव लगभग तय माना जा रहा है। रूस की समुद्री सैन्य गतिविधियों से घबराए हुए देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, पोलैंड, डेनमार्क, फिनलैंड, स्वीडन और बाल्टिक क्षेत्र के तीन देश लिथुआनिया, लातविया और एस्टोनिया शामिल हैं। इन देशों ने रूस के सीमावर्ती एयरबेस को हाई अलर्ट पर रख दिया है।
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वहीं, अमेरिका अब इन क्षेत्रों में परमाणु हथियार तैनात करने की तैयारी में है, लेकिन इससे पहले ही पुतिन ने अपनी न्यूक्लियर सबमरीन को वॉर ड्रिल में शामिल करके स्पष्ट संकेत दे दिया है कि रूस परमाणु युद्ध के लिए पूरी तरह तैयार है। पुतिन का कहना है कि मौजूदा दौर में समुद्री शक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से अत्यंत अहम हो चुकी है। ऐसे में रूस की नेवल फोर्स की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है, और हम इस दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं।