भूकंप (प्रतीकात्मक तस्वीर)
Earthquake in Myanmar: भारत के पड़ोसी देश म्यांमार में 4.2 तीव्रता का भूकंप आया। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, यह भूकंप भारतीय समयानुसार रात 2:42 बजे दर्ज किया गया। भूकंप का केंद्र धरती की सतह से 10 किलोमीटर नीचे था, जिसके कारण तेज झटके महसूस किए गए।
एनसीएस ने एक्स (सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म) पर जानकारी साझा करते हुए बताया कि म्यांमार में एक भूकंप आया था, जिसका केंद्र 20.88 उत्तरी अक्षांश और 95.82 पूर्वी देशांतर पर स्थित था। यह भूकंप रात 2:42:47 बजे आया, लेकिन अभी तक इससे किसी भी प्रकार के जन-धन की हानि की सूचना नहीं मिली है।
म्यांमार भूकंप और प्राकृतिक आपदाओं के मामले में अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में शामिल है। यहां न सिर्फ भूकंप का खतरा बना रहता है, बल्कि इसकी लंबी तटीय रेखा के कारण सुनामी का भी जोखिम रहता है। दरअसल, म्यांमार चार टेक्टोनिक प्लेटों भारतीय, यूरेशियन, सुंडा और बर्मा प्लेट के संधि-स्थल पर स्थित है, जहां इन प्लेटों की आपसी हलचल के कारण भूगर्भीय गतिविधियां अधिक सक्रिय रहती हैं।
म्यांमार में एक 1,400 किलोमीटर लंबा भूगर्भीय भ्रंश (फॉल्ट) है, जो अंडमान के विस्तार केंद्र को उत्तर में स्थित टकराव क्षेत्र से जोड़ता है। इसे सागाइंग फॉल्ट कहा जाता है। यह भ्रंश सागाइंग, मांडले, बागो और यांगून जैसे प्रमुख क्षेत्रों के लिए भूकंप का गंभीर खतरा पैदा करता है। इन इलाकों में म्यांमार की कुल आबादी का 46% हिस्सा रहता है, जिससे यह फॉल्ट बड़े पैमाने पर जनजीवन के लिए जोखिम बन गया है।
यांगून फॉल्ट ट्रेस से भले ही यह इलाका कुछ दूरी पर स्थित हो, लेकिन घनी आबादी के चलते यांगून अब भी भूकंप के लिहाज़ से संवेदनशील बना हुआ है। वर्ष 1903 में म्यांमार के बागो क्षेत्र में आए 7.0 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप का असर यांगून तक महसूस किया गया था।
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अभी रूस में बुधवार को आए 8.7 तीव्रता के भूकंप को इतिहास का छठा सबसे शक्तिशाली भूकंप बताया जा रहा है। इस घटना के बाद जापान के मौसम विज्ञान विभाग ने सुनामी की आशंका जताते हुए अलर्ट जारी किया। सूत्रों के मुताबिक, जापानी प्रशासन ने सावधानी के तौर पर लगभग 20 लाख निवासियों को तत्काल सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था। इसकी वजह से पूरे देश में दहशत और अस्थिरता का वातावरण पैदा हो गया था।