म्यांमार में चुनाव (सोर्स- सोशल मीडिया)
Myanmar Election 2025: म्यांमार में रविवार को आम चुनाव के पहले चरण के लिए मतदान हो रहे हैं। यह चुनाव पांच साल बाद हो रहा है, जब से सेना (जुंटा) ने सत्ता पर कब्जा किया था। यह पहली बार है जब सेना के शासन के बाद चुनाव हो रहे हैं। हालांकि, म्यांमार में लोकतंत्र के वापस आने और राजनीतिक दलों द्वारा सरकार चलाने की संभावना कम है, क्योंकि सेना ने 4 साल पहले आंग सान सू की की चुनी हुई सरकार को हटा दिया था। 80 साल की सूकी और उनकी पार्टी चुनाव में भाग नहीं ले रही हैं।
म्यांमार इस वक्त गृह युद्ध जैसे हालातों से गुजर रहा है। सेना ने इसे बहुदलीय लोकतंत्र की वापसी बताया है, लेकिन विपक्ष और मानवाधिकार समूहों का कहना है कि यह चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं होंगे। सेना के जनरल मिन आंग ह्लाइंग की पार्टी, यूनियन सॉलिडैरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी को भारी बहुमत मिल सकता है, क्योंकि यह पार्टी सेना की समर्थन वाली मानी जाती है।
इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के विशेषज्ञ रिचर्ड हॉर्सी के मुताबिक, सेना चाहती है कि उसकी पार्टी इन चुनावों में जीतकर लोकतंत्र की बहाली का दिखावा करे और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से समर्थन हासिल करे, खासकर भारत और चीन जैसे पड़ोसी देशों से।
1 फरवरी, 2021 को सेना ने सू की की सरकार को सत्ता से हटा लिया था। सेना ने दावा किया कि 2020 का चुनाव धोखाधड़ी से भरा था। रविवार को 330 कस्बों में से 102 में मतदान हुआ, और 11 जनवरी तथा 25 जनवरी को बाकी मतदान होगा। हालांकि, 65 कस्बों में हिंसा और संघर्ष के कारण मतदान नहीं हो पाएगा। वहीं विपक्ष ने भी इस चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है।
आंग सान सूकी की पार्टी और अन्य विपक्षी दल चुनाव से बाहर हैं। सूकी को राजनीति से प्रेरित झूठे आरोपों में 27 साल की सजा दी गई है। कई विपक्षी पार्टियां भी चुनाव का बहिष्कार कर रही हैं या उनपर पाबंदियां लगी हैं। चुनावों को लेकर कई लोगों का कहना है कि ये चुनाव सेना की सत्ता को मजबूत करेंगे और लोकतंत्र की बहाली की संभावना खत्म हो जाएगी।
पिछले कुछ महीनों में चुनाव की आलोचना करने या विरोध करने वाले 200 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सेना की समर्थक पार्टी को भारी बहुमत मिलने की संभावना है, और सेना के नेता मिन आंग ह्लाइंग के फिर से राष्ट्रपति बनने की संभावना है।
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म्यांमार में संघर्ष की वजह से भारी नुकसान हुआ है। 22,000 से ज्यादा लोग हिरासत में हैं, 7,600 से ज्यादा लोग मारे गए हैं और 3.6 लाख से ज्यादा लोग घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं। संयुक्त राष्ट्र और अन्य मानवाधिकार संगठनों ने म्यांमार में हिंसा, दमन और धमकियों को बढ़ने की चेतावनी दी है। युद्ध के कारण स्थिति और भी गंभीर हो सकती है, क्योंकि विपक्ष सेना के खिलाफ विरोध जारी रखेगा।