सांकेतिक तस्वीर
PoK Protests: पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) की राजधानी मुजफ्फराबाद में गुरुवार को स्थिति तनावपूर्ण बनी रही। यहां पिछले कई दिनों से सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी हैं। 2 अक्टूबर के प्रदर्शन में मारे गए लोगों का अंतिम संस्कार किया गया। इसमें शामिल होने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। इसे देखकर पाकिस्तानी सरकार और सेना की नींद हराम हो गई है।
स्थानीय रिपोर्टों के मुताबिक, 29 सितंबर को हुई हिंसक झड़पों में कम से कम आठ लोगों की मौत हुई थी। इसके अलावा मंगलवार को पाकिस्तानी रेंजर्स की गोलीबारी में भी चार लोगों के मारे जाने की सूचना है। इन मौतों ने क्षेत्र के लोगों को झकझोर कर रख दिया है और सरकार की नीतियों के खिलाफ गुस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है।
पीओके में जारी प्रदर्शन का नेतृत्व जम्मू-कश्मीर संयुक्त आवामी एक्शन कमेटी (JKJAC) कर रही है। JKJAC का दावा है कि उनका आंदोलन अचानक नहीं भड़का, बल्कि यह सालों से जनता की जरूरतों की अनदेखी का नतीजा है। पीओके के लोगों का आरोप है कि पाकिस्तानी सरकार जानबूझकर उन्हें राजनीतिक और आर्थिक अधिकार देने से बचती रही है। हालात इतने खराब हो गए हैं कि लोगों को आटा और बिजली जैसी बुनियादी चीजों की भी भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है।
Protests intensified in POK 🔥 Thousands are marching from Jhelum valley towards Muzaffarabad in protest against Pakistan government pic.twitter.com/ovlZy9x9rb — Major Pawan Kumar, Shaurya Chakra (Retd) 🇮🇳 (@major_pawan) October 3, 2025
इसके अलावा, प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पाकिस्तान की सरकार और सेना पीओके के संसाधनों का उपयोग तो करती हैं, लेकिन इसका लाभ जनता को नहीं मिलता। लोगों ने इससे पहले भी अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाने की कोशिश की, लेकिन हर बार उन्हें खोखले वादों के अलावा कुछ नहीं मिला। इससे परेशान होकर अब लोग सड़कों पर उतरकर हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं।
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बता दें कि 29 सितंबर को JKJAC की अपील पर बंद और चक्का जाम किया गया था। इस दौरान सेना और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें हुईं। सरकार स्थिति को काबू करने के नाम पर आंदोलन को कुचलने की कोशिश कर रही है। पीओके में इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं बंद कर दी गई हैं। इसके अलावा, सेना इसे बाहरी साजिश करार देने में लगी है, लेकिन अंतिम संस्कार में उमड़े लोगों के हुजूम ने यह साबित कर दिया कि यह केवल कुछ लोगों का विरोध नहीं, बल्कि व्यापक जन असंतोष है।