डोनाल्ड ट्रंप, नरेंद्र मोदी (फोटो- सोशल मीडिया)
Trump-Modi Phone Call: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने के बाद दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए हैं। इसी बीच जर्मनी के प्रतिष्ठित अखबार FAZ (Frankfurter Allgemeine Zeitung) ने एक बड़ा दावा किया है। जिससे साबित हो गया है कि भारत अमेरिकी टैरिफ के सामने किसी भी परिस्थिती में झुकने वाला नहीं है।
अखबार के दावे के मुताबिक, भारत पर टैरिफ लगाने के बाद अमेरिका राष्ट्रपति ने कम से कम चार बार भारतीय प्रधानमंत्री से बात करने के लिए फोन लगाया है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर बार उनसे बात करने से इनकार कर दिया है। अखबार ने यह भी दावा किया कि पीएम मोदी अमेरिका द्वारा भारत को “डेड इकोनॉमी” कहे जाने से नाराज हैं।
31 जुलाई को एक बयान में ट्रंप ने कहा था, “मुझे फर्क नहीं पड़ता कि भारत रूस के साथ क्या करता है। वे दोनों मिलकर अपनी मृत अर्थव्यवस्थाओं को और नीचे गिरा सकते हैं। हमने भारत के साथ बहुत कम व्यापार किया है, और उनके टैरिफ दुनिया में सबसे ऊंचे हैं।”
FAZ की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप के इस बयान से पीएम मोदी नाराज हुए और उन्होंने फोन पर बातचीत से परहेज किया। साथ ही, पीएम मोदी अमेरिकी कृषि क्षेत्र के लिए भारतीय बाजार खोलने के ट्रंप के दबाव का भी विरोध कर रहे हैं।
इस दौरान अमेरिका ने 50 फीसदी टैरिफ लगाने का आधिकारिक नोटिस जारी कर दिया है, जो 27 अगस्त की रात 12:01 बजे से प्रभावी होगा। बताया जा रहा है कि ब्राजील को छोड़कर यह अमेरिका की ओर से किसी भी देश पर लगाया गया अब तक का सबसे बड़ा टैरिफ है।
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अमेरिकी टैरिफ भारत पर कई तरीकों से असर डालते हैं। जब अमेरिका भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाता है, तो भारतीय उत्पाद महंगे हो जाते हैं, जिससे निर्यात घटता है। इससे भारत की अर्थव्यवस्था, विशेषकर छोटे और मध्यम उद्योगों को नुकसान होता है। आईटी, स्टील, और टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों पर खास असर पड़ता है। भारत बदले में अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ लगा सकता है, जिससे द्विपक्षीय व्यापार संबंधों में तनाव बढ़ता है। इससे निवेश पर भी असर पड़ सकता है और व्यापार संतुलन बिगड़ सकता है। कुल मिलाकर, टैरिफ भारत की आर्थिक वृद्धि को प्रभावित कर सकते हैं।