माओ जेदोंग (फोटो- सोशल मीडिया)
Mao Zedong Death Anniversary: माओ जेदोंग ने चीन के इतिहास के सबसे प्रभावशाली नेता है। उन्होंने अपने शासन में चीन को लेकर दुनिया की फैक्टरी बनाने की राह ही नहीं दिखाई बल्की उसे केंद्र लाकर खड़ा कर दिया। हालांकि माओ ने अपने राजनीति जीवन में कई ऐसे फैसले लिए जिसका असर चीन में आज भी नजर आता है। इसमें से एक है चीन में धर्म को खत्म करना।
उन्होंने न केवल मंदिरों, चर्चों और मठों को तोड़ा, बल्कि वहां से कर भी वसूले और पूजा-पाठ को अपराध बना दिया। उनकी नीतियों ने चीन की हजारों साल पुरानी धार्मिक परंपराओं को झकझोर कर रख दिया।
माओ का मानना था कि धर्म जनता को अंधविश्वास और पिछड़ेपन में कैद कर देता है। सत्ता संभालने के तुरंत बाद उन्होंने धार्मिक संस्थाओं पर नियंत्रण शुरू किया। मंदिरों और मठों से कर वसूले जाने लगे, चर्चों और मस्जिदों पर पाबंदियां लगाई गईं। पूजा-पाठ करना कई बार आर्थिक बोझ बन गया और धीरे-धीरे लोगों को आस्था से दूर धकेला जाने लगा।
1966 में जब सांस्कृतिक क्रांति की शुरुआत हुई तो धर्म पर सबसे बड़ा हमला हुआ। लाखों मंदिर, चर्च और मठों को तोड़ दिया गया। धार्मिक मूर्तियों को सड़कों पर फेंककर अपमानित किया गया और ग्रंथों को आग के हवाले कर दिया गया। पुजारियों, पादरियों और भिक्षुओं को मजबूरन खेतों और फैक्ट्रियों में मजदूरी करनी पड़ी। यहां तक कि घरों में निजी तौर पर पूजा करना भी अपराध माना जाने लगा।
धर्म को खत्म करने के साथ ही माओ ने खुद को एक तरह का नया भगवान बना लिया। उनकी तस्वीर हर घर और दफ्तर में लगाई जाती, और लिटिल रेड बुक लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गई। लोग सुबह-शाम माओ के विचारों का पाठ करते और नारे लगाते। यह एक नई तरह की राजनीतिक पूजा थी जहां ईश्वर की जगह माओ खुद खड़े थे।
माओ की नीतियों ने चीन की हजारों साल पुरानी आध्यात्मिक परंपराओं को गहरी चोट पहुंचाई। तिब्बत में बौद्ध संस्कृति लगभग टूट गई। एक पूरी पीढ़ी बिना किसी धार्मिक शिक्षा और आध्यात्मिक आधार के बड़ी हुई। समाज वैचारिक रूप से भले ही एकरूप दिखा, लेकिन उसकी आध्यात्मिक नींव हिल चुकी थी।
यह भी पढ़ें: चीन-अमेरिका के परस्पर विरोधी हित को साधना हो जाएगा असाध्य, पाक को महंगी पड़ेगी दो नावों की सवारी
आज चीन में धर्म वापस लौटा है, लेकिन सख्त सरकारी निगरानी में। चर्च, मंदिर और मस्जिद खुले तो हैं, लेकिन किसी भी धार्मिक गतिविधि के लिए अनुमति जरूरी है। माओ का प्रभाव अब भी मौजूद है धर्म चीन में आज भी उतनी स्वतंत्रता से सांस नहीं ले पा रहा, जितना दुनिया के अन्य हिस्सों में।