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क्या आपको पता है! मिडिल ईस्ट का एक ऐसा देश जो अपने राजनीति के लिए है मशहूर

लेबनान मिडिल ईस्ट का एक ऐसा देश है जो अपने राजनीति के लिए है काफी मशहूर है। यहां पर पिछले दो साल से राष्ट्रपति की कुर्सी खाली थी। गुरूवार को 13वीं कोशिश के बाद आखिरकार लेबनान को देश का राष्ट्रपति मिल ही गया।

  • By अमन उपाध्याय
Updated On: Jan 10, 2025 | 07:27 AM

जोसेफ औन, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )

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बेरूत: लेबनान को आखिरकार दो साल बाद नया राष्ट्रपति मिल ही गया। गुरुवार को लेबनान की संसद ने देश के सेना कमांडर जोसेफ औन को नया राष्ट्रपति चुना। यह फैसला इजराइल और हिजबुल्ला के बीच 14 महीने के संघर्ष के बाद हुए युद्धविराम समझौते के कुछ हफ्तों बाद लिया गया। औन को अमेरिका और सऊदी अरब का पसंदीदा उम्मीदवार माना जाता था।

जोसेफ औन, लेबनान के राष्ट्रपति बनने वाले पांचवें पूर्व सेना कमांडर हैं। लेबनान की संसद ने पूर्व राष्ट्रपति मिशेल औन के बाद नए राष्ट्रपति को चुनने के लिए 13वीं बार प्रयास किया। मिशेल औन का कार्यकाल अक्टूबर 2022 में खत्म हुआ था।

हिजबुल्ला और लेबनान के राष्ट्रपति चुनाव

हिजबुल्ला ने पहले सुलेमान फ्रांगीह का समर्थन किया था, जो उत्तरी लेबनान की एक छोटी ईसाई पार्टी के नेता हैं और सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति बशर असद के करीबी माने जाते हैं। लेकिन बुधवार को फ्रांगीह ने राष्ट्रपति चुनाव से अपना नाम वापस ले लिया और सेना प्रमुख जोसेफ औन का समर्थन किया। इससे जोसेफ औन के लिए राष्ट्रपति बनने का रास्ता बिल्कुल आसान हो गया।

मिडिल ईस्ट इंस्टीट्यूट, वाशिंगटन डीसी के वरिष्ठ फेलो रैंडा स्लिम के मुताबिक, हिजबुल्ला की ताकत में कमी, इस्राइल के साथ युद्ध और सीरिया में असद के कमजोर होने की वजह से उसका प्रभाव कम हुआ है। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय दबाव ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए रास्ता साफ करने में मदद की।

जोसेफ औन को राष्ट्रपति चुनाव में बढ़त, लेकिन बहुमत से चूके

गुरुवार को लेबनान के राष्ट्रपति चुनाव के पहले दौर में जोसेफ औन को 128 में से 71 वोट मिले। हालांकि, सीधे जीतने के लिए जरूरी दो-तिहाई बहुमत से वे पीछे रह गए। बाकी में से 37 सांसदों ने खाली मतपत्र जमा किए, जबकि 14 ने ‘संप्रभुता और संविधान’ के पक्ष में मतदान किया। दूसरे दौर में जोसेफ औन को 99 वोट मिले, लेकिन वे राष्ट्रपति बनने के लिए पर्याप्त नहीं थे।

कई बार रहा पद खाली

लेबनान में राष्ट्रपति पद पहले भी कई बार खाली रहा है। सबसे लंबा समय मई 2014 से अक्तूबर 2016 तक रहा, जब करीब ढाई साल तक यह पद खाली था। यह संकट तब खत्म हुआ जब मिशेल औन को राष्ट्रपति चुना गया।

सबसे पुराने शहरों में से एक

लेबनान एक छोटा सा देश है, जो पश्चिमी एशिया में स्थित है। इसकी राजधानी बेरूत है, जो मिडिल ईस्ट के सबसे पुराने शहरों में से एक मानी जाती है। लेबनान की सीमा दक्षिण में इजराइल और उत्तर व पूर्व में सीरिया से जुड़ी हुई है। यह देश 1943 में स्वतंत्र हुआ था। इससे पहले, यहां रोमन, बाइजेंटाइन, अरब और ऑटोमन साम्राज्य का शासन रहा था।

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बता दें कि लेबनान आजाद होने से पहले 20वीं सदी में फ्रांस के शासन में था। यहां की अर्थव्यवस्था में बैंकिंग और पर्यटन का अहम योगदान है। लेकिन 21वीं सदी में लेबनान ने कई मुश्किलों का सामना किया, जैसे आर्थिक मंदी, सरकार की अस्थिरता, और 2020 का भयानक धमाका होने की वजह से देश को बहुत कुछ नुकसान झेलना पड़ा।

राजनीति, इतिहास और खानपान

लेबनान की राजनीति में धर्म का बड़ा असर है। देश के दक्षिणी हिस्से में हिजबुल्लाह संगठन का खास प्रभाव है। 1975 से 1990 के बीच लेबनान में सिविल वॉर हुआ, जो इसके इतिहास का एक अहम हिस्सा है। यहां के पारंपरिक खाने भी बहुत मशहूर हैं। हम्मस, तब्बूले और फतूश जैसे व्यंजन दुनिया भर में पसंद किए जाते हैं।

Lebanon parliament elects military commander joseph aoun as president 13th attempt in 2 years

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Published On: Jan 10, 2025 | 07:13 AM

Topics:  

  • Lebanon
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