खालिदा जिया का निधन (सोर्स- सोशल मीडिया)
Khaleda Zia Death: 30 दिसंबर 2025 को लंबी बीमारी के बाद बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की अध्यक्ष बेगम खालिदा जिया का 80 वर्ष की आयु में ढाका के एवरकेयर अस्पताल में निधन हो गया। लाखों समर्थक उन्हें ‘देशमाता’ के रूप में याद करेंगे। उनका जाना केवल एक राजनीतिक नेता के निधन का प्रतीक नहीं, बल्कि बांग्लादेश की लोकतांत्रिक यात्रा के एक महत्वपूर्ण अध्याय का समापन भी है।
खालिदा का जन्म 15 अगस्त 1945 को जलपाईगुड़ी (अब भारत) में हुआ। मात्र 15 वर्ष की आयु में उन्होंने पाकिस्तानी सेना के कैप्टन जियाउर रहमान से विवाह किया, जो बाद में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के नायक और 1977 में राष्ट्रपति बने। 1981 में उनके पति की हत्या ने उन्हें राजनीति में कदम रखने के लिए प्रेरित किया।
वो 1982 में BNP में शामिल हुईं और 1984 में पार्टी अध्यक्ष बनीं। उन्होंने सैन्य शासक हुसैन मुहम्मद एर्शाद के खिलाफ लोकतंत्र बहाली आंदोलन का नेतृत्व किया और कई बार हाउस अरेस्ट झेली। 1991 में BNP की जीत के साथ खालिदा पहली बार प्रधानमंत्री बनीं। उनका कार्यकाल आर्थिक सुधार, निर्यात वृद्धि और केयरटेकर गवर्नमेंट सिस्टम के लिए याद किया जाता है।
खालिदा जिया और शेख हसीना के बीच बांग्लादेश की राजनीति में लंबे समय तक प्रतिस्पर्धा रही। जहां हसीना को ‘बंगबंधु की बेटी’ कहा जाता है, वहीं खालिदा को ‘आयरन लेडी’ और ‘लोकतंत्र की मां’ के नाम से जाना जाता था। हालांकि खालिदा के राजनीति में आने से पहले दोनों के बीच अच्छी दोस्ती थी। दोनों मिलकर सैन्य शासक हुसैन मुहम्मद एर्शाद के खिलाफ आवाज उठाते थे।
हालांकि, 2001 में सत्ता में वापसी के बाद उनके कार्यकाल में भ्रष्टाचार और इस्लामी कट्टरपंथियों के खिलाफ कार्रवाई ने विवाद खड़ा किया। खालिदा और शेख हसीना के बीच की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता ‘बैटल ऑफ द बेगम्स’ के नाम से जानी जाती है। 2008 के बाद हसीना सरकार में उनके खिलाफ कई भ्रष्टाचार मामले चले और 2018 में उन्हें जेल हुई, हालांकि स्वास्थ्य कारणों से उन्हें घर में नजरबंद रखा गया।
2024 में छात्र आंदोलन के बाद उनकी रिहाई हुई और सभी मामले खत्म कर दिए गए। हालांकि उनकी स्वास्थ्य समस्याएं गंभीर बनी रहीं उनमें लीवर सिरोसिस, किडनी फेलियर, डायबिटीज, हृदय और फेफड़ों की बीमारियां शामिल थीं।
खालिदा जिया के बड़े बेटे तारिक रहमान ने 25 दिसंबर 2025 को 17 साल के लंदन निर्वासन के बाद BNP की कमान संभाली। फरवरी 2026 के संभावित चुनावों में उन्हें प्रधानमंत्री उम्मीदवार माना जा रहा है।
यह भी पढ़ें: Balochistan Terror Attacks: बलूच लड़ाकों के हमलों में 15 पाकिस्तानी सैनिक ढेर, हमलों से मची तबाही
खालिदा जिया ने सैन्य शासन के खिलाफ संघर्ष किया, महिलाओं को राजनीति में आगे बढ़ाया और BNP को मजबूत बनाया। उनकी मृत्यु से बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा खालीपन पैदा हुआ है। अब सभी की निगाहें उनके बेटे तारिक रहमान पर हैं क्या वे अपनी मां की विरासत को आगे बढ़ा पाएंगे?