
बलूचिस्तान हमलों में 15 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत (सोर्स-सोशल मीडिया)
15 Pakistan Soldiers Killed in Balochistan Attacks: पाकिस्तान के अशांत प्रांत बलूचिस्तान में पिछले कुछ हफ्तों से जारी भीषण हमलों ने पाकिस्तानी सेना की कमर तोड़ दी है। अलग-अलग इलाकों में हुए इन समन्वित हमलों में कम से कम 15 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि दर्जनों अन्य गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं।
इन हमलों की जिम्मेदारी बलूचिस्तान के सक्रिय सशस्त्र समूहों, BLA, BLF और BRG ने ली है। इन बढ़ते हमलों ने न केवल स्थानीय सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) की सुरक्षा को लेकर भी इस्लामाबाद की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) के प्रवक्ता जियंद बलूच के अनुसार, 23 दिसंबर को केच जिले के तेजाबन इलाके में एक सैन्य चौकी पर अत्याधुनिक हथियारों और ग्रेनेड लॉन्चरों से हमला किया गया, जिसमें दो सैनिक मारे गए।
इसके ठीक दो दिन बाद, 25 दिसंबर को पंजगुर के कटगारी क्षेत्र में CPEC मार्ग पर सेना के एक वाहन को रिमोट-कंट्रोल विस्फोट से उड़ा दिया गया। इस भीषण धमाके में छह पाकिस्तानी सैनिकों की मौके पर ही मौत हो गई और चार अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए, जिससे पूरे इलाके में दहशत का माहौल है।
वहीं, बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (BLF) ने 27 दिसंबर को सुराब जिले के बैथगु क्रॉस पर आरसीडी हाईवे पर एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया। लड़ाकों ने एक साथ सुरक्षा वाहनों और सैनिक टुकड़ियों को निशाना बनाया, जिसमें पांच सैन्य कर्मियों की मौत हो गई। बलूच रिपब्लिकन गार्ड्स (BRG) ने भी नसीराबाद क्षेत्र में पाकिस्तानी काफिले पर घात लगाकर हमला किया, जिसमें दो और सैनिक मारे गए।
इन समूहों का दावा है कि उनके लड़ाके सुरक्षित अपने ठिकानों पर लौट आए हैं और वे पाकिस्तान के “औपनिवेशिक कब्जे” के खिलाफ अपना संघर्ष जारी रखेंगे।
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बलूच लड़ाकों द्वारा CPEC रूट और खनन परियोजनाओं (Saindak Project) से जुड़े वाहनों को निशाना बनाना यह दर्शाता है कि वे विदेशी निवेश और पाकिस्तानी संसाधनों के दोहन के खिलाफ बेहद आक्रामक हैं। बलूचिस्तान पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2025 में अब तक 400 से अधिक सशस्त्र घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिनमें 200 से ज्यादा सुरक्षाकर्मी मारे जा चुके हैं।
पाकिस्तानी सेना ने कलत और पंजगुर में जवाबी अभियान चलाकर कुछ लड़ाकों को मारने का दावा किया है, लेकिन जमीनी स्तर पर बलूच विद्रोहियों की बढ़ती ताकत ने शाहबाज शरीफ सरकार के लिए बड़ी चुनौती पेश कर दी है।






