
बांग्लादेश की पूर्व पीएम खालिदा जिया और उनके पति जियाउर रहमान (सोर्स-सोशल मीडिया)
Buried Near Husband Ziaur Rahman: बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की अध्यक्ष बेगम खालिदा जिया का मंगलवार (30 दिसंबर, 2025) सुबह 6 बजे निधन हो गया। 80 वर्षीय खालिदा जिया लंबे समय से लीवर सिरोसिस, फेफड़ों के संक्रमण और हृदय संबंधी गंभीर बीमारियों से जूझ रही थीं और ढाका के एवरकेयर अस्पताल में भर्ती थीं।
उनके निधन की खबर फैलते ही पूरे बांग्लादेश में शोक की लहर दौड़ गई है और ढाका सहित प्रमुख शहरों में सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा कर दिया गया है। बीएनपी ने इस दुखद घड़ी में अपनी दिग्गज नेता को याद करते हुए देशव्यापी 7 दिवसीय आधिकारिक शोक की घोषणा की है।
खालिदा जिया पिछले पांच हफ्तों से अस्पताल में वेंटिलेटर पर थीं और उनकी स्थिति लगातार नाजुक बनी हुई थी। डॉक्टरों की एक विशेष टीम उनके स्वास्थ्य की निगरानी कर रही थी लेकिन मंगलवार की सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की पुष्टि होते ही अस्पताल के बाहर हजारों समर्थकों की भीड़ जमा हो गई।
BNP की स्टैंडिंग कमेटी ने एक आपातकालीन बैठक बुलाई और पार्टी प्रमुख के सम्मान में सात दिनों के शोक का ऐलान किया। इस अवधि के दौरान पार्टी के सभी आधिकारिक झंडे आधे झुके रहेंगे और सभी चुनावी व राजनीतिक रैलियों को स्थगित कर दिया गया है। पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं से शांति बनाए रखने और स्थानीय मस्जिदों में मरहूम नेता के लिए विशेष दुआ करने की अपील की है।
खालिदा जिया की नमाज-ए-जनाजा बुधवार को ढाका के प्रसिद्ध माणिक मिया एवेन्यू पर आयोजित की जाएगी जहां लाखों लोगों के जुटने की संभावना है। BNP नेता सलाहुद्दीन अहमद ने बताया कि जनाजे की तैयारियां जोरों पर हैं और इसे ऐतिहासिक बनाने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। प्रशासन ने भारी भीड़ को देखते हुए क्षेत्र में अतिरिक्त सुरक्षा बल और एम्बुलेंस सेवाओं को तैनात रहने के निर्देश दिए हैं।
पार्टी के निर्णय के अनुसार खालिदा जिया को ढाका के संसद परिसर के पास स्थित जिया उद्यान में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। उन्हें उनके पति और पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान की मजार के बगल में दफनाया जाएगा जो BNP समर्थकों के लिए सर्वोच्च स्थल माना जाता है। यह कदम उनकी राजनीतिक विरासत और उनके पति के प्रति उनके समर्पण को सम्मान देने के लिए उठाया गया है।
खालिदा जिया का राजनीतिक सफर काफी प्रभावशाली रहा लेकिन भारत के साथ उनके संबंध हमेशा उतार-चढ़ाव भरे और अक्सर टकरावपूर्ण रहे। सत्ता में रहते हुए उनके सख्त कूटनीतिक रुख ने दक्षिण एशियाई राजनीति को कई बार प्रभावित किया था। उनके निधन के साथ ही बांग्लादेश की राजनीति का वह ‘बेगमों की जंग’ वाला दौर आधिकारिक तौर पर समाप्त हो गया है जिसने दशकों तक देश की दिशा तय की थी।
यह भी पढ़ें: Khaleda Zia Passes Away: क्या बेटे तारिक रहमान को मिलेगी सहानुभूति या जमात-ए-इस्लामी होगा बेलगाम?
फरवरी 2026 में होने वाले आम चुनावों से ठीक पहले हुआ यह निधन बांग्लादेश के चुनावी परिदृश्य को पूरी तरह बदलकर रख सकता है। अब पार्टी का पूरा नेतृत्व उनके बेटे तारिक रहमान के हाथों में है जो वर्तमान में निर्वासन से वापस लौटकर कमान संभाल रहे हैं। सहानुभूति की यह लहर BNP को चुनावों में अप्रत्याशित बढ़त दिला सकती है बशर्ते पार्टी एकजुट रहकर इस संकट का सामना करे।






