चावल पर विवादित टिप्पणी ने ले ली मंत्री कुर्सी, फोटो (सो.सोशल मीडिया)
जापान के कृषि मंत्री तकु एतो ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। यह कदम उन्होंने चावल की खरीद को लेकर की गई एक अनुचित टिप्पणी के बाद उठाया। देश की जनता पहले से ही चावल की बढ़ती कीमतों से परेशान है। रविवार को सागा प्रान्त में एक सेमिनार के दौरान एतो ने कहा था कि उन्हें कभी चावल खरीदने की जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि उनके समर्थक उन्हें हमेशा उपहार स्वरूप चावल दे देते हैं। उनकी यह बात आम लोगों की समस्याओं के प्रति असंवेदनशील मानी गई, जिससे आलोचना हुई और आखिरकार उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
इस्तीफे के बाद एतो ने कहा, “जब आम लोग चावल की बढ़ती कीमतों से जूझ रहे हैं, ऐसे समय में मेरी टिप्पणी बेहद अनुचित थी। मैंने प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा को अपना इस्तीफा सौंपा, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है।”
उन्होंने अपने बयान पर खेद जताते हुए जनता से माफी मांगी और स्पष्ट किया कि वे खुद भी चावल खरीदते हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, एतो की जगह पूर्व पर्यावरण मंत्री शिंजिरो कोइजुमी को पदभार सौंपा जा सकता है। चावल की कमी और महंगाई को लेकर विपक्षी पार्टियों ने एतो के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की चेतावनी दी थी।
कृषि मंत्री के बयान के कारण विपक्षी पार्टी के साथ-साथ सत्तारूढ़ गठबंधन के सांसदों ने भी तीखी आलोचना की, जिससे जुलाई में होने वाले महत्वपूर्ण चुनावों से पहले इशिबा की पहले से ही कमजोर स्थिति और अधिक कमजोर हो गई। अक्टूबर में बने इशिबा के मंत्रिमंडल में यह एटो का पहला इस्तीफा होगा।
बुधवार की सुबह प्रधानमंत्री कार्यालय जाकर अपना इस्तीफा सौंपने के बाद, एटो ने मीडिया से कहा कि मैंने ऐसे समय में एक गलत और अनुचित टिप्पणी की, जब आम जनता चावल की बढ़ती कीमतों को लेकर परेशान है। एक साल पहले की तुलना में चावल की कीमतें दोगुनी हो चुकी हैं और यह कई दशकों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं, जो जापानी मतदाताओं के लिए बड़ी चिंता का विषय है। सरकार ने मार्च से ही कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाए हैं, लेकिन अभी तक इसका कोई खास असर देखने को नहीं मिला है।
जापान में चावल की कमी की समस्या अगस्त 2024 में उस समय शुरू हुई जब सरकार ने भूकंप की चेतावनी जारी करते हुए लोगों से तैयार रहने को कहा। इस चेतावनी से घबराए नागरिकों ने बड़ी मात्रा में चावल जमा करना शुरू कर दिया। शरद ऋतु की फसल के बाद स्थिति कुछ हद तक सामान्य हुई, लेकिन 2025 की शुरुआत में फिर से चावल की कमी महसूस की गई और कीमतों में तेज बढ़ोतरी हुई। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि इसके पीछे 2023 की गर्मी में खराब फसल, उर्वरकों और उत्पादन की लागत में बढ़ोतरी जैसे कारण हैं। वहीं कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि यह संकट सरकार की दीर्घकालिक चावल उत्पादन नीतियों की खामियों का नतीजा भी है।