विदेश मंत्री एस. जयशंकर और खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान (सोर्स-सोशल मीडिया)
Jaishankar Hands PM Narendra Modi Letter: भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर बुधवार को एक विशेष राजनयिक मिशन पर बांग्लादेश की राजधानी ढाका पहुंचे। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का व्यक्तिगत शोक संदेश लेकर वहां की पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया के अंतिम संस्कार में शामिल होने गए हैं। इस यात्रा के माध्यम से भारत ने अपने पड़ोसी देश के प्रति संवेदना और दुख की इस घड़ी में एकजुटता का प्रदर्शन किया है। जयशंकर ने खालिदा जिया के परिवार से मुलाकात कर भारत सरकार और भारतीय जनता की ओर से गहरी सहानुभूति प्रकट की।
विदेश मंत्री जयशंकर ने ढाका पहुंचते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लिखा गया शोक पत्र खालिदा जिया के परिजनों को सौंपा। इस पत्र में पीएम मोदी ने जिया के निधन को पूरे दक्षिण एशिया के लिए एक बड़ी क्षति बताया है। भारत ने इस कठिन समय में बांग्लादेश के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने का भरोसा दिलाया है।
डॉ. जयशंकर ने खालिदा जिया के लंबे राजनीतिक जीवन और बांग्लादेश में लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करने के उनके प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि जिया के योगदान को इतिहास में हमेशा सम्मानपूर्वक याद किया जाएगा और उनका कद बेहद ऊंचा था। भारत उनके राजनीतिक प्रभाव और दशकों तक किए गए जनसेवा के कार्यों को आदर देता है।
On arrival in Dhaka, met with Mr Tarique Rahman @trahmanbnp, Acting Chairman of BNP and son of former PM of Bangladesh Begum Khaleda Zia. Handed over to him a personal letter from Prime Minister @narendramodi. Conveyed deepest condolences on behalf of the Government and… pic.twitter.com/xXNwJsRTmZ — Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) December 31, 2025
बुधवार सुबह करीब 11:30 बजे विदेश मंत्री जयशंकर का विशेष विमान ढाका के एयरपोर्ट पर उतरा जहां उनका भव्य स्वागत किया गया। भारत के उच्चायुक्त प्रणय वर्मा ने उनकी अगवानी की और उन्हें प्रोटोकॉल के तहत कार्यक्रम स्थल तक पहुंचाया। जिया का निधन मंगलवार को 80 वर्ष की आयु में लंबी बीमारी के बाद हुआ था।
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खालिदा जिया का राजनीति में प्रवेश उनके पति राष्ट्रपति जियाउर रहमान की हत्या के बाद उपजी परिस्थितियों के कारण हुआ था। महज 35 साल की उम्र में उन्होंने पार्टी की कमान संभाली और देखते ही देखते देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। उनके चार दशकों के लंबे करियर ने बांग्लादेश की राजनीति को एक नई दिशा प्रदान की।
जयशंकर की यह यात्रा दर्शाती है कि भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ मानवीय और कूटनीतिक संबंधों को कितनी प्राथमिकता देता है। भले ही राजनीतिक विचारधाराएं अलग रही हों, लेकिन दुख के समय भारत ने हमेशा एक बड़े भाई की भूमिका निभाई है। इस दौरे से दोनों देशों के बीच भविष्य में आपसी रिश्तों के और प्रगाढ़ होने की उम्मीद है।