विदेश मंत्री एस. जयशंकर, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
वाशिंगटन: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्धविराम को लेकर एक बार फिर स्थिति स्पष्ट कर दी है। वाशिंगटन में क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि सीजफायर का पूरा रिकॉर्ड सार्वजनिक है और यह दोनों देशों के DGMO (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस) के बीच आपसी बातचीत का परिणाम था।
भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे को भी सिरे से खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेरिका की मध्यस्थता और ट्रेड के दबाव के चलते यह युद्धविराम संभव हो सका। हालांकि भारत की बार-बार की सफाई के बावजूद ट्रंप लगातार इस युद्धविराम का श्रेय खुद को देते रहे हैं। वह कई बार सार्वजनिक रूप से यह दावा कर चुके हैं कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान जैसे परमाणु ताकतों वाले देशों के बीच संभावित युद्ध को रोकने में अहम भूमिका निभाई।
वॉशिंगटन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि “आज भी भारत-अमेरिका संबंधों के केंद्र में भारत और अमेरिका ही हैं। हम एक सशक्त और दुनिया की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में शामिल, सबसे बड़ी जनसंख्या वाले, और लगातार अपना वैश्विक प्रभाव बढ़ाने वाले राष्ट्र हैं। हमें अपने इस आत्मविश्वास को बनाए रखना चाहिए।”
सीजफायर के मुद्दे पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, “उस वक्त जो भी हुआ, उसका पूरा ब्यौरा बहुत स्पष्ट है। यह फैसला दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच आपसी समझौते से लिया गया था। इसलिए मैं इस विषय पर अब और कुछ नहीं कहना चाहता।”
आतंकवाद को लेकर उन्होंने कहा कि यह एक सच्चाई है कि कई देशों का रवैया तब तक गंभीर नहीं होता जब तक आतंकवाद उन्हें स्वयं प्रभावित नहीं करता। लेकिन जब यही खतरा उनके दरवाज़े पर आता है, तो उनका रुख और स्थिति पूरी तरह बदल जाती है।
भारत ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान के साथ संघर्ष रोकने में अमेरिका या किसी अन्य तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं थी। नई दिल्ली ने यह साफ किया कि 9-10 मई को भारत द्वारा पाकिस्तान के कई एयरबेस पर किए गए हमलों के बाद, पाकिस्तान की ओर से उसके डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ को युद्धविराम की पेशकश की थी। इसके बाद ही दोनों देशों ने इस पर सहमति जताई।
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उन्होंने देश को जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच हुई बातचीत के दौरान न तो भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर कोई चर्चा हुई, न ही भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी मुद्दे पर अमेरिका की ओर से मध्यस्थता का कोई प्रस्ताव सामने आया।
सैन्य तनाव को कम करने से जुड़ी बातचीत पूरी तरह भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूद सैन्य संचार माध्यमों के ज़रिए ही हुई, और इसकी शुरुआत पाकिस्तान की ओर से की गई थी। भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह पाकिस्तान से संबंधित किसी भी मुद्दे पर किसी तीसरे देश की मध्यस्थता को कभी स्वीकार नहीं करेगा।