इतमार बेन-ग्विर ने किया अल-अक्सा मस्जिद का दौरा (फोटो- सोशल मीडिया)
Itamar Ben Gvir Al Aqsa Mosque Controversy: इजराइल के कट्टरपंथी नेता और मंत्री इतमार बेन-ग्विर ने रविवार को यरुशलम के अल-अक्सा मस्जिद में जाकर प्रार्थना की है। इसे लेकर दुनियाभर के तमाम मुस्लिम देशों ने इस पर आपत्ती जताते हुए इसे इस्लाम की अपमान बताया है। पाकिस्तान सहित अन्य देशों ने इसे उकसावे की कार्रवाई बताते हुए कहा है कि ग्विर ने हद पार कर दी है।
ग्विर रविवार को अपने कुछ समर्थकों के साथ मस्जिद परिसर पहुंचे, जिसकी तस्वीरें सामने आने के बाद कई मुस्लिम देशों सहित दुनिया के कई हिस्सों से कड़ी निंदा की गई है। पाकिस्तान, जॉर्डन, सऊदी अरब और तुर्की जैसे देशों ने इस घटना को ऐतिहासिक व्यवस्था का उल्लंघन करार देते हुए इसकी आलोचना की।
पाकिस्तान, जॉर्डन, सऊदी अरब और तुर्की ने आपत्ती जताते हुए कहा कि, यह ऐतिहासिक व्यवस्था का उल्लंघन है। इस्लाम के अनुसार, जिसके तहत यह स्थल मुस्लिमों के प्रशासन में है और यहूदी तीर्थयात्री वहां जा तो सकते हैं, लेकिन प्रार्थना नहीं कर सकते। ग्विर इससे पहले भी अल-अक्सा परिसर जा चुके हैं और हर बार उन्हें मुस्लिम देशों के साथ-साथ कई पश्चिमी देशों की आलोचना का भी सामना करना पड़ा है।
इस बार ग्विर की यात्रा को लेकर फिलिस्तीनी गुट हमास ने कहा कि यह फिलिस्तीनियों के खिलाफ आक्रामकता को और बढ़ावा देती है। फिलिस्तीनी प्राधिकरण के अध्यक्ष महमूद अब्बास के प्रवक्ता ने भी इस यात्रा को सभी रेड लाइन को पार करने वाला बताया है।
जॉर्डन के विदेश मंत्रालय ने इस कदम को अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवीय कानूनों का गंभीर उल्लंघन करार देते हुए इसे अस्वीकार्य उकसावा कहा। सऊदी अरब ने इसे अल-अक्सा मस्जिद के खिलाफ इजरायली अधिकारियों की भड़काऊ गतिविधि बताया। वहीं पाकिस्तान और तुर्की ने भी इस घटना के खिलाफ कड़े शब्दों में प्रतिक्रिया दी है।
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मक्का और मदीना के बाद अल-अक्सा मस्जिद को इस्लाम में सबसे पवित्र स्थल माना जाता है। इससे लेकर करीब 1,400 साल से यहूदियों और मुस्लमानों के बीच विवाद चलता आ रहा है। यह स्थल यहूदी, मुस्लिम और ईसाई धर्मों के लिए धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है। यह वही स्थान है जहां ईसा मसीह मरकर फिर से जीवित हुए थे। इजराइल और फिलिस्तीन के बीच इसका नियंत्रण विवाद का प्रमुख कारण है, जिससे अक्सर तनाव, झड़पें और राजनीतिक संघर्ष उत्पन्न होते हैं।