तीन कार्गो प्लेन ने की ईरान में लैंडिंग, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
इजरायल और ईरान के बीच जारी संघर्ष के छठे दिन (बुधवार को) तनाव और बढ़ता जा रहा है। पिछले शुक्रवार यानी 13 जून को, इजरायली रक्षा बलों ने ईरान के सैन्य ठिकानों और परमाणु सुविधाओं पर “ऑपरेशन राइजिंग लॉयन” के तहत भीषण हमले किए। जवाबी कार्रवाई में ईरान ने भी इजरायल पर मिसाइल दागे।
अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा हो रही है कि अमेरिका इस संघर्ष में इजरायल का साथ दे सकता है, हालांकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार इस मुद्दे पर एकमत नहीं हैं। विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका के शामिल होने से यह युद्ध और भी भयावह हो सकता है, क्योंकि ईरान को चीन का समर्थन भी हासिल है।
इसी बीच, एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। शुक्रवार को इजरायल द्वारा ईरान पर हमले के ठीक अगले दिन से चीन से तीन मालवाहक विमानों ने रहस्यमय उड़ानें भरीं। पहला विमान शनिवार को, दूसरा रविवार को तटीय शहर से, और तीसरा सोमवार को चीन से रवाना हुआ। सभी तीनों विमानों ने ईरान में रहस्यमय तरीके से लैंडिंग की है। सूत्रों का मानना है कि इन विमानों के जरिए चीन ने अपने सहयोगी ईरान को सैन्य सहायता पहुंचाई हो सकती है, संभवतः चीन ने ईरान को हथियारों की खेप पहुंचाई है।
टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रैकिंग डेटा से यह जानकारी सामने आई है कि तीनों कार्गो विमान उत्तरी चीन से पश्चिम की ओर उड़ान भरते हुए कजाकिस्तान से गुजरे और फिर दक्षिण की ओर मुड़कर उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के रास्ते ईरान की सीमा के करीब पहुंचे। लेकिन जैसे ही ये विमान ईरान की सरहद के पास पहुंचे, वे अचानक रडार से गायब हो गए, जिससे उनकी गतिविधियां रहस्य बन गईं।
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चीनी विमानों ने अपने अंतिम गंतव्य के रूप में लक्जमबर्ग दिखाया, लेकिन ट्रैकिंग डेटा के अनुसार ये विमान यूरोपीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश ही नहीं किए। इससे संदेह पैदा हो रहा है कि युद्धकालीन परिस्थितियों में चीन से ईरान की ओर इन विमानों के जरिए कौन सी सामग्री भेजी गई होगी।
विमानन विशेषज्ञों के अनुसार, इस मामले में इस्तेमाल किया गया विमान एक बोइंग 747 कार्गो प्लेन है, जिसे आमतौर पर सैन्य सामान और हथियारों की ढुलाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि विमान ने ईरान की हवाई सीमा में दाखिल होने से पहले अपने ट्रांसपोंडर बंद कर दिए थे, ताकि वह रडार और व्यावसायिक ट्रैकिंग सिस्टम से बच सके। इस गुप्त और रहस्यमय तरीके से उड़ान भरने के पीछे ईरान को हथियार पहुँचाने का मकसद हो सकता है।