पाकिस्तान को नहीं मिला ईरान से समर्थन, (डिजाइन फोटो)
तेहरान: ऑपरेशन सिंदूर के बाद मुस्लिम देशों को साधने निकले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख असीम मुनीर को बिना ईरान के समर्थन के ही तेहरान से निराश होकर लौटना पड़ा। पाक पीएम ने ईरान को प्रभावित करने के लिए गाजा और इजरायल पर तीखे बयान दिए, लेकिन इसके बावजूद उन्हें ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई से खास समर्थन नहीं मिला।
खामनेई ने केवल यह कहा कि ईरान को उम्मीद है भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद शांतिपूर्ण तरीके से सुलझेगा। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी ईरान ने दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने की कोशिश की थी। दिलचस्प बात यह रही कि जब पाकिस्तानी नेतृत्व तेहरान में बातचीत कर रहा था, उसी वक्त भारत ने ईरान के चाबहार बंदरगाह को लेकर एक महत्वपूर्ण घोषणा कर दी।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने यह घोषणा की है कि वह ईरान के चाबहार बंदरगाह की क्षमता को बढ़ाएगा और इसे 2026 के मध्य तक रेल नेटवर्क से जोड़ देगा। यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब अमेरिका की ओर से प्रतिबंधों का खतरा बना हुआ है। इसे भारत की ओर से ट्रंप प्रशासन को एक सख्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है। वर्तमान में भारत की एक सरकारी कंपनी इस बंदरगाह के संचालन की जिम्मेदारी संभाल रही है। अमेरिकी दबाव के बावजूद, भारत और ईरान मिलकर चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं।
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अमेरिका ने पहले चाबहार पोर्ट को अपने प्रतिबंधों से छूट दी थी, लेकिन अब यह छूट समाप्त होने की आशंका जताई जा रही है। यह बंदरगाह ओमान की खाड़ी में स्थित है और भारत इसे पाकिस्तान में चीन द्वारा विकसित ग्वादर पोर्ट के विकल्प के रूप में आगे बढ़ा रहा है। चाबहार पोर्ट की क्षमता को बढ़ाकर 1 लाख TEUs तक ले जाने की योजना पर काम चल रहा है। साथ ही, इस पोर्ट को ईरान के रेलवे नेटवर्क से जोड़ने के लिए चाबहार से जाहेदान तक लगभग 700 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन बिछाई जा रही है, जिसके अगले साल के मध्य तक पूरा होने की संभावना है।