तेहरान की सड़कों पर छात्रों का प्रदर्शन (सोर्स-सोशल मीडिया)
Students Protest In Tehran Iran: ईरान की चरमराती अर्थव्यवस्था और मुद्रा ‘रियाल’ में रिकॉर्ड गिरावट ने देश को अस्थिरता के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है। मंगलवार को राजधानी तेहरान सहित देश के प्रमुख शहरों में हजारों छात्र अपनी आर्थिक दुर्दशा और बढ़ती महंगाई के खिलाफ सड़कों पर उतर आए।
यह प्रदर्शन सोमवार को बाजार बंद रखने वाले दुकानदारों के विरोध के ठीक एक दिन बाद हुआ है, जो दर्शाता है कि ईरान में जन आक्रोश अब हर वर्ग में फैल रहा है। विदेशी प्रतिबंधों की मार और परमाणु कार्यक्रम को लेकर बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव ने आम ईरानी नागरिक की कमर तोड़ दी है, जिससे जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है।
तेहरान के सात प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों सहित देश के 10 प्रमुख संस्थानों में छात्रों ने विरोध रैलियां निकालीं और आर्थिक कुप्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की। इस्फहान, यज्द और जंजन जैसे औद्योगिक शहरों में भी छात्रों ने अपना विरोध दर्ज कराया, जिसके बाद सरकार ने प्रमुख चौराहों पर भारी सुरक्षा बल तैनात कर दिए हैं। प्रशासन ने प्रदर्शनों को कुचलने के लिए कई संवेदनशील इलाकों में पुलिस और अर्धसैनिक बलों की घेराबंदी बढ़ा दी है।
ईरान की मुद्रा रियाल डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है, जिससे मोबाइल फोन जैसे आयातित सामानों की बिक्री पूरी तरह ठप हो गई है। एक साल पहले जो डॉलर 8,20,000 रियाल पर था, वह अब उछलकर 1.42 मिलियन रियाल के पार जा चुका है, जिससे व्यापारियों को भारी घाटा हो रहा है। आयात लागत में इस बेतहाशा वृद्धि ने खुदरा विक्रेताओं और मध्यम वर्ग के परिवारों के सामने रोजी-रोटी का गहरा संकट खड़ा कर दिया है।
आर्थिक संकट को देखते हुए राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन ने श्रमिक नेताओं से मुलाकात की और प्रदर्शनकारियों की ‘जायज मांगों’ को सुनने के लिए गृह मंत्री को निर्देश जारी किए हैं। सरकार ने स्थिति को संभालने के लिए केंद्रीय बैंक के गवर्नर को हटाकर पूर्व वित्त मंत्री अब्दोलनासेर हेम्मती को कमान सौंपी है ताकि मुद्रा के पतन को रोका जा सके। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक कड़े प्रतिबंध नहीं हटते, तब तक ऐसे फेरबदल बेअसर साबित होंगे।
ईरान की अर्थव्यवस्था पर असली दबाव संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को फिर से लागू करने के बाद बढ़ा है, जो इसके परमाणु कार्यक्रम से जुड़े हैं। पश्चिमी शक्तियों और इजरायल का आरोप है कि ईरान परमाणु हथियार बना रहा है, जबकि ईरान इन दावों को हमेशा से ही खारिज करता रहा है। प्रतिबंधों की वापसी ने देश के तेल निर्यात और बैंकिंग लेनदेन को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, जिसका सीधा असर आम जनता की क्रय शक्ति पर पड़ रहा है।
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वर्तमान अशांति ने 2022 के ‘महसा अमिनी’ आंदोलन और 2019 के पेट्रोल संकट के दौरान हुई राष्ट्रव्यापी हिंसा की यादों को एक बार फिर से ताजा कर दिया है। हालांकि अभी प्रदर्शनों का स्तर उतना व्यापक नहीं है, लेकिन छात्रों और दुकानदारों का एकजुट होना सरकार के लिए बड़ी चेतावनी है। संसद के स्पीकर ने जनता की शक्ति बढ़ाने का आह्वान किया है, साथ ही विदेशी एजेंटों द्वारा इन प्रदर्शनों का फायदा उठाने के प्रति आगाह भी किया है।