ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई (फोटो- सोशल मीडिया)
Iran-Azerbaijan Tension: ईरान ने हाल ही में 12 दिनों तक चले युद्ध के बाद इजराइल और अमेरिका से शांति समझौता किया है। इसी बीच खबर आ रही है कि ईरान एक बार फिर जंग की तैयारी कर रहा है। लेकिन इस बार उसके निशाने पर अमेरिका या इजराइल नहीं बल्कि अजरबैजान है, जिसके एक प्रोजेक्ट से नाराज होकर ईरान ने बॉर्डर सैनिकों की तैनाती के संकेत दिए है।
अजरबैजान जंगेजुर कॉरिडोर पर काम कर रहा है। इससे कॉकस में तनाव बढ़ने की आशंका है। दरअसल इस योजना का मकसद ईरान से होकर गुजरने वाले मौजूदा रास्ते का जगह आर्मेनिया के दक्षिणी स्यूनिक प्रांत से होते हुए नखचिवन एक्स्क्लेव शहर के लिए एक अलग रास्ता बनाना है। ये रास्ता अजरबैजान को बिना ईरान के हस्तक्षेप के यूरोप से जोड़ने का काम करेगा।
2020 के नागोर्नो-कराबाख युद्ध में जीत के बाद अजरबैजान ने अपने कब्जे वाले क्षेत्र वापस ले लिए। अब वह एक वैकल्पिक मार्ग के बदले उस कॉरिडोर पर नियंत्रण चाहता है, जिससे आर्मेनिया की संप्रभुता और ईरान के साथ उसकी सीमाएं प्रभावित हो सकती हैं। ईरान पहले भी इस प्रस्ताव का विरोध कर चुका है।
इससे पहले 2023-2024 के दौरान तुर्की और अज़रबैजान ने जंगेजुर कॉरिडोर परियोजना के काम को आगे बढ़ाने की कोशिश की थी, तब आर्मेनिया से सटे इलाके में ईरान ने सैनिक तैनात कर काम को रोक दिया था। हालांकि, बाकू और अंकारा अब वैकल्पिक योजनाओं पर विचार कर रहे हैं, जिनमें अमेरिका की संभावित भागीदारी भी शामिल है।
तुर्की में हाल ही में अमेरिकी राजदूत द्वारा यह सुझाव दिया गया कि वाशिंगटन इस कॉरिडोर के निर्माण और संचालन की भूमिका निभा सकता है, जिससे अज़रबैजानी राष्ट्रपति अलीयेव को किसी भी समझौते को ठुकराने का आत्मविश्वास मिला।
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ईरान इस परियोजना को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय प्रभाव के लिए गंभीर खतरा मानता है। यही कारण है कि परियोजना के फिर से शुरू होने की सुगबुगाहट से ईरान ने सीमा पर सैनिकों की तैनाती के संकेत दिए है। माना जा रहा है कि इस समस्या का हल नहीं निकला तो मीडिल ईस्ट में एक बार फिर जंग की शुरुआत हो सकती है।