फोटो सोर्स सोशल मीडिया
नियामी: नाइजर के पश्चिमी हिस्से में शुक्रवार दोपहर एक ऐसा भयावह मंजर देखने को मिला, जिसने पूरे क्षेत्र को दहशत में डाल दिया। माली और बुर्किना फासो की सीमा से सटे फाम्बिता गांव में भारी हथियारों से लैस जिहादियों ने उस समय हमला किया, जब लोग जुमे की नमाज अदा कर रहे थे। आतंकियों ने मस्जिद को घेरकर अंधाधुंध फायरिंग की और बाजार व घरों में आगजनी की। इस हमले में 44 नागरिकों की मौत हो गई और 13 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। सरकार ने तीन दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है और इस वीभत्स हमले के पीछे इस्लामिक स्टेट इन ग्रेट सहारा का हाथ बताया जा रहा है।
यह हमला दोपहर करीब दो बजे हुआ। जैसे ही ग्रामीण नमाज के लिए मस्जिद में एकत्र हुए, आतंकी चारों ओर से घेराबंदी कर वहां घुस आए और ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं। इतना ही नहीं, हमलावरों ने गांव के बाजार और कई घरों को भी आग के हवाले कर दिया। गृह मंत्रालय के अनुसार, मृतकों का आंकड़ा फिलहाल 44 है, लेकिन घायलों की गंभीर स्थिति को देखते हुए मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। हमला इतना अचानक और भयानक था कि किसी को भी संभलने का मौका नहीं मिला।
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नाइजर, माली और बुर्किना फासो पिछले एक दशक से जिहादी हिंसा की गिरफ्त में हैं। यहां अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट से जुड़े समूह लगातार हमले कर रहे हैं। हाल के वर्षों में इन देशों में सैन्य तख्तापलट के बाद हालात और बिगड़ गए हैं। फ्रांसीसी सेना को बाहर कर अब रूस से सुरक्षा सहायता ली जा रही है, लेकिन स्थिति नियंत्रण से बाहर होती दिख रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि सेना के नियंत्रण में आने के बाद साहेल क्षेत्र में अस्थिरता और अधिक बढ़ गई है। सरकारी प्रयासों के बावजूद नागरिकों पर हमलों का सिलसिला नहीं थम रहा।
बुर्किना फासो, माली और नाइजर ने मिलकर नया सुरक्षा गठबंधन बनाया है, लेकिन जमीनी हालात बेहद खराब बने हुए हैं और आम लोग लगातार इसका शिकार हो रहे हैं। बता दें कि घटना कुछ इस तरह से घटी की ग्रामीण नमाज के लिए मस्जिद में एकत्र हुए, आतंकी चारों ओर से घेराबंदी कर वहां घुस आए और ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं। इतना ही नहीं, हमलावरों ने गांव के बाजार और कई घरों को भी आग के हवाले कर दिया। गृह मंत्रालय के अनुसार, मृतकों का आंकड़ा फिलहाल 44 है।