अमेरिका में आग में झुलसी 24 वर्षीय भारतीय छात्रा की मौत, फोटो (सो.सोशल मीडिया)
USA Indian Student Tragedy: अमेरिका के न्यूयॉर्क राज्य के अल्बानी शहर में एक आवासीय घर में लगी भीषण आग ने भारतीय समुदाय को झकझोर कर रख दिया है। इस आग में 24 वर्षीय भारतीय छात्रा साहजा रेड्डी उडुमाला गंभीर रूप से झुलस गईं और बाद में उनकी मौत हो गई। साहजा अल्बानी में मास्टर्स की पढ़ाई कर रही थीं और उज्ज्वल भविष्य के सपनों के साथ अमेरिका आई थीं।
घटना 4 दिसंबर की सुबह हुई, जब अल्बानी पुलिस विभाग को घर में आग लगने की सूचना मिली। पुलिस और दमकल विभाग तुरंत मौके पर पहुंचे, लेकिन घर पूरी तरह आग की लपटों में घिर चुका था। अंदर मौजूद कई लोगों को बचाने के लिए फायरफाइटर्स ने तत्परता से अभियान चलाया और चार वयस्कों को बाहर निकाला। सभी को मौके पर प्राथमिक उपचार देने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया। इनमें से दो को गंभीर हालत में बर्न सेंटर स्थानांतरित किया गया।
अल्बानी पुलिस ने बताया कि एक महिला ने आग से लगी गंभीर चोटों के कारण दम तोड़ दिया। बाद में परिवार ने मृतका की पहचान साहजा रेड्डी उडुमाला के रूप में की। अधिकारियों के अनुसार, साहजा का शरीर लगभग 90% तक जल चुका था, जिससे उनके अंगों ने काम करना बंद कर दिया था।
साहजा की चचेरी बहन रत्ना गोपू ने ‘गोफंडमी’ पर एक फंडरेजर शुरू किया, जिसमें उन्होंने लिखा कि हमने एक अकल्पनीय त्रासदी का सामना किया है। साहजा अपने सपनों और उम्मीदों के साथ अमेरिका आई थीं, लेकिन आग में लगी चोटें इतनी गंभीर थीं कि तमाम प्रयासों के बावजूद उनका शरीर उन्हें जवाब दे गया। रत्ना ने बताया कि साहजा बेहद दयालु, दृढ़संकल्पी और सभी के प्रति गर्मजोशी रखने वाली थीं।
फंडरेजर का लक्ष्य 1,20,000 अमेरिकी डॉलर रखा गया था, जिसमें से अब तक 1.09 लाख डॉलर से अधिक राशि जुट चुकी है। यह रकम अंतिम संस्कार, स्मृति समारोह, शव भारत लाने और अन्य आवश्यक प्रक्रियाओं में खर्च की जाएगी।
न्यूयॉर्क स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास ने एक्स पर पोस्ट कर साहजा की मौत पर गहरा दुख व्यक्त किया और बताया कि वह लगातार उनके परिवार के संपर्क में है। दूतावास ने आश्वासन दिया है कि परिवार को कानूनी, प्रशासनिक और पार्थिव शरीर भारत भेजने की प्रक्रिया में हर संभव सहायता प्रदान की जा रही है।
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साहजा की मौत ने अमेरिकी भारतीय समुदाय में शोक की लहर दौड़ा दी है। यह घटना न सिर्फ एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि विदेश में पढ़ने आए हजारों छात्रों के लिए भी एक भावनात्मक झटका है, जो दूर देश में संघर्षों और सपनों के साथ अपनी जिंदगी गढ़ रहे हैं।