आईएमईसी पर भारत और इजरायल में बनी सहमति (सोर्स- सोशल मीडिया)
India-Israel on IMEC Corridor: गाजा युद्ध खत्म होने के बाद भारत और इजरायल अब भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) पर काम को तेज करने की तैयारी कर रहे हैं। इसी कड़ी में इजरायल के विदेश मंत्री गिदोन सार भारत आए और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने इस गलियारे के विस्तार और तेजी से काम करने पर सहमति जताई।
यह सार का विदेश मंत्री बनने के बाद भारत का पहला दौरा है। उनकी यात्रा तीन दिन की है और उन्होंने इसे सोमवार को नई दिल्ली से शुरू किया। सार की यह यात्रा संभावित रूप से दिसंबर में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की भारत यात्रा से पहले हो रही है। यह दौरा गाजा युद्धविराम के बाद हुआ है, जिसकी मध्यस्थता अमेरिका ने की थी।
युद्धविराम में कई बंधकों और फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई शामिल थी। इस शांति के बाद IMEC परियोजना को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी और भारत और यूरोप के बीच व्यापारिक संबंध मजबूत होंगे। भारत इस गलियारे को मध्य पूर्व में स्थिरता आने के बाद आगे बढ़ाना चाहता है। IMEC के तहत यह गलियारा इजरायल से होकर यूरोप तक जाएगा। इसका प्रस्ताव पहली बार सितंबर 2023 में दिल्ली में आयोजित G20 शिखर सम्मेलन में रखा गया था।
An excellent meeting with FM @gidonsaar of Israel today in New Delhi. Productive discussions on strengthening our Strategic Partnership across various domains. Reaffirmed our zero tolerance towards terrorism in all its forms and manifestations. Appreciate FM Sa’ar sharing… pic.twitter.com/mHLPzk3rmm — Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) November 4, 2025
लेकिन 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हमास के हमले के कारण काम रोक दिया गया। उस हमले में 1,200 लोग मारे गए और लगभग 250 लोग बंधक बनाए गए। इसके जवाब में इजरायल ने गाजा पर हमला किया, जो लगभग दो साल तक चला और इसमें 68,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए। अब अमेरिका की मध्यस्थता से दोनों पक्षों ने शांति पर सहमति जताई है, जिससे IMEC परियोजना फिर से शुरू हो सकेगी।
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IMEC का मुख्य उद्देश्य भारत और अरब प्रायद्वीप के बीच समुद्री और रेल संपर्क को मजबूत करना है। इसमें यूएई के बंदरगाहों से सऊदी अरब और जॉर्डन होते हुए इजरायल के हाइफा बंदरगाह तक हाई-स्पीड ट्रेन का निर्माण शामिल है। इसके अलावा स्वच्छ हाइड्रोजन पाइपलाइन, बिजली कनेक्शन, समुद्री डिजिटल केबल और मौजूदा बुनियादी ढांचे को जोड़ने का भी लक्ष्य है। उस परियोजना के पूरा होने से भारतीय सामान बिना किसी रुकावट के यूरोप तक पहुंचाए जा सकेंगे।