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लेबनान-इज़रायल के बीच तनाव तथा युद्ध की स्तिथियां लगातार बिगड़ती जा रही है, ऐसे में दोनों देश की अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर हालात में कोई सुधार नहीं आया है। इसी बात को लेकर भारत ने पहले UN में चिंता जताई थी, जिसके बाद अब भारत संयुक्त राष्ट्र संघ में इज़रायल के खिलाफ खड़े होने वाले देशो में शामिल हो गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत ने इज़रायली सैन्य कार्रवाई का विरोध कर दिया है।
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दरअसल, इज़रायली हमले में श्रीलंका के दो संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक घायल हो गए है, जिसके बाद दुनिया के कई देश इसकी कड़ी निंदा कर रहे है तथा इन देशो में अब भारत भी शामिल हो गया है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में सैनिको पर हमले के बाद चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ‘एक प्रमुख सैन्य योगदानकर्ता देश के रूप में भारत 34 UNIFIL देशो द्वारा सैन्य योगदानकर्ता देशों द्वारा जारी संयुक्त बयान के साथ पूरी तरह से खड़ा हुआ है। हमारे लिए शांति सैनिकों की सुरक्षा सर्वोपरि है और इसे मौजूदा यूएनएससी प्रस्तावों के अनुसार सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
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इधर, इजरायल की सेना का कहना है, कि शुक्रवार को साउथ लेबनान के नकौरा में उनके वॉच टॉवर के पास एक इजरायली हमले में श्रीलंका के दो संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक घायल हो गए। पिछले 48 घंटे में यह दूसरी बार इस क्षेत्र में शांति सैनिकों के मुख्य बेस पर विस्फोट हुआ है, UNIFIL बल ने इसे गंभीर घटनाक्रम बताया और कहा कि संयुक्त राष्ट्र कर्मियों और संपत्ति की सुरक्षा गारंटी दी जानी चाहिए।
बताया जा रहा है, कि UNIFIL बल में कई देशों के दस हजार से ज्यादा शांति सैनिक हैं, जिसमें भारतीय सैनिकों की संख्या दूसरी सबसे बड़ी सैन्य संख्या है। जहां भारत के लगभग 900 सैनिक इसमें सम्मिलित हैं, एक तरह से भारत का यह बयान संयुक्त राष्ट्र शांति बलों को निशाना बनाने वाली इजरायल की कार्रवाइयों पर भारत की चिताओं को दर्शाता है।
लगभग पिछले 1 साल में हमास और हिजबुल्लाह के खिलाफ इजरायल की कार्रवाइयों पर भारत ने अपनी नपी-तुली प्रतिक्रिया दी हैं। लेकिन अब भारत ने इजरायल की खिलाफत कर दी है। भारत ने साउथ लेबनान में लड़ाई लड़ रहे संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के फंसने की खबरों और बिगड़ती सुरक्षा स्थिति पर भी अपना रुख साफ कर दिया है, जिसमें विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम नीली रेखा पर बिगड़ती सुरक्षा व्यवस्थाओं को लेकर परेशान है।
हम लगातार इस पूरे मामले पर नजर बनाए हुए हैं, 120 किलोमीटर की नीली लाइन संयुक्त राष्ट्र द्वारा खींची गई एक अधिकृत सीमांकन रेखा है, जो साउथ लेबनान से इजरायली सुरक्षा वालों की वापसी को प्रदर्शित करता है। जो लेबनान को इसरायल और गोलान हाइट्स से पृथक करती है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र परिसर की अखंडता का सभी को सम्मान करना चाहिए और संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों की सुरक्षा और उनके जनादेश की पवित्रता सुनिश्चित करने के लिए उचित उपाय किए जाने चाहिए। भारत ने इजरायल द्वारा की गई सैनिक कार्रवाइयों का पक्ष लेते हुए भारत में इज़रायल के राजदूत रूवेन अजार ने कहा कि हिज्बुल्लाह शांति सैनिको को ढाल के रूप में उपयोग करते हुए के UNIFIL के करीब इज़रायल पर हमले कर रहा है। लेकिन इज़रायल संयुक्त राष्ट्र बलों की सुरक्षा के लिए काम करना जारी रखेगा तथा उनकी सुरक्षा के लिए सभी महत्वपूर्ण देशो के साथ समन्वय बनाकर आगे काम करेगा।