14वें दलाई लामा (फोटो- सोशल मीडिया)
धर्मशाला: तिब्बती समुदाय के धर्मगुरु 14वें दलाई लामा छह जुलाई 2025 को 90 साल के हो जाएंगे। इस मौके पर दुनियाभर के तिब्बती धर्मगुरु हिमाचल में उनके मठ एकजुट हो रहे हैं। दलाई लामा का यह जन्मदिन कई मायनों में अलग और खास है, क्योंकि माना जा रहा है कि वह इस मौके पर अपने उत्तराधिकारी की घोषणा कर सकते हैं।
तिब्बती मान्यताओं के अनुसार दलाई लामा का कोई चुनाव नहीं होता, बल्कि उन्हें खोजा जाता है। यह प्रक्रिया इतनी रहस्यमयी है कि इसके बारे में बहुत कम लोगों को पता होता है। आइए आज हम बताते हैं कि दलाई लामा की खोज कैसे होती है? इसमें मृत्यु, पुनर्जन्म, संकेत और भविष्यवाणी का रहस्य है। चीन की इस पर बुरी नजर क्यों है? और दलाई लामा ने अपने उत्तराधिकारी को लेकर क्या घोषणा की है?
तिब्बती बौद्ध धर्म के मुताबिक जब वर्तमान दलाई लामा की मृत्यु होती है, इसके बाद उनका पुनर्जन्म होता है। दलाई लामा की मृत्यु से पहले कुछ वरिष्ठ बौद्ध भिक्षुओं को यह बताकर जाते हैं कि उनका पुनर्जन्म कहां होने वाला है। इसलिए जब वर्तमान दलाई लामा की मृत्यु होती है, इसके बाद भिक्षु उनकी तलाश शुरू कर देते हैं।
नए दलाई लामा की खोज के दौरान वरिष्ठ लामा ध्यान और प्रार्थना के माध्यम से प्राप्त संकेतों को समझने की कोशिश करते हैं। वे ल्हामो लात्सो नामक पवित्र झील के किनारे ध्यान करते हैं, जहाँ उन्हें किसी गांव का नाम, दिशा या कोई विशिष्ट दृश्य जैसे संकेत दिखाई दे सकते हैं। इन दिव्य संकेतों के आधार पर पुनर्जन्म लेने वाले बालक की तलाश शुरू की जाती है। कई खोजी दल तिब्बत, नेपाल, भूटान और भारत के हिमालयी क्षेत्रों में इस बालक को खोजने के लिए यात्रा करते हैं। यह खोज कई सालों तक चल सकती है।
जब किसी बच्चे पर नए दलाई लामा होने का शक जाता है, उसे सीधे सर्वोच्च पद पर नहीं बैठा दिया जाता। बल्कि उसकी कठिन परीक्षा ली जाती है। सबसे पहले वरिष्ठ लामा उसके व्यवहार पर कड़ी नजर रखते हैं। इसके बाद उसे पुराने लामा की चीजों जैसे माला, छड़ी और कपड़ों की पहचान करने के लिए दिया जाता है। अगर बच्चा सही चुनाव करता है तो फिर उसे बौद्ध लाकर विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। इसके बाद सालों तक उसे बौद्ध धर्म, संस्कृत, तिब्बती संस्कृति और दर्शन की शिक्षा दी जाती है।
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दलाई लामा ने इस साल प्रकाशित अपनी किताब ‘वॉइस फॉर द वॉइसलेस’ में बताया था कि उनका उत्तराधिकारी चीन से बाहर स्वतंत्र दुनिया में जन्म लेगा। इसे लेकर चीन ने उनकी आलोचना की थी। दरअसल, चीन तिब्बत को अपना हिस्सा मानता है। ऐसे में अगर उसे दलाई लामा के चुनाव का हिस्सा बनने का मौका मिलता है, तो वह दुनिया के सामने तिब्बत पर अपने दावे और मजबूती से पेश कर सकता है। हालांकि, तिब्बत इसे अपनी धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ मानता है।