हांगकांग में लगी आग की तस्वीर, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Hong Kong Accident News: हांगकांग के ताइपो इलाके में वांग फुक कोर्ट परिसर में बीते सप्ताह लगी भीषण आग में मरने वालों की संख्या बढ़कर 151 हो गई है। यह हादसा शहर के इतिहास की सबसे भयावह आपदा के रूप में दर्ज हो रहा है।
अधिकारियों ने प्राथमिक जांच में स्पष्ट स्वीकार किया है कि इस आग का मुख्य कारण सुरक्षा मानकों की अनदेखी और लापरवाही रही, जिसके बाद 44 से 77 वर्ष की आयु के 13 लोगों को गैर-इरादतन हत्या और भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है।
स्थानीय मीडिया ‘द स्टैंडर्ड डॉट एचके’ के अनुसार, सोमवार शाम 4 बजे तक करीब 30 लोग अब भी लापता हैं। खोज अभियान जारी है और उम्मीद है कि अगले तीन हफ्तों में ऑपरेशन पूरा हो जाएगा। आग 26 नवंबर को लगी थी, जिसने देखते ही देखते सात इमारतों को अपनी चपेट में ले लिया था। इस पर काबू पाने में फायर ब्रिगेड को लगभग दो दिन लग गए।
हांगकांग फ्री प्रेस की रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से बताया गया कि मरम्मत कार्य के दौरान उपयोग की गई नेटिंग और प्लास्टिक शीटिंग फायर-सेफ्टी कोड के अनुरूप नहीं थीं। जांच में यह भी सामने आया कि जिन जालियों से मचान ढका गया था, वे निम्न गुणवत्ता की थीं और आग फैलने की प्रमुख वजह बनीं। खिड़कियों को भी प्लास्टिक शीट से सील कर दिया गया था, जिससे धुआं बाहर निकलने का रास्ता नहीं मिल पाया।
मजदूरी विभाग ने खुलासा किया कि स्थानीय लोगों ने पिछले एक साल में सुरक्षा को लेकर कई शिकायतें दर्ज कराई थीं। जुलाई 2024 से अब तक 16 निरीक्षण किए गए थे और ठेकेदार को कई बार लिखित चेतावनी भी जारी की गई थी। घटना से सिर्फ एक हफ्ते पहले अंतिम निरीक्षण किया गया था, लेकिन इसमें भी वास्तविक खामियों को छिपाया गया।
मुख्य सचिव एरिक चैन, जो इस हादसे की जांच कर रही वर्किंग ग्रुप के चेयरमैन हैं, ने बताया कि वांग फुक कोर्ट परिसर की चार इमारतों से 20 सैंपल लिए गए। इनमें से सात जालियां निर्धारित अग्नि-रोधी मानकों को पूरा नहीं करती थीं। इन्हें ऐसी जगह लगाया गया था जहां सामान्य कर्मियों का पहुंचना मुश्किल था, जबकि फायरफाइटर्स ही वहां पहुंच पाते।
आईसीएसी कमिश्नर डैनी वू ने बताया कि गिरफ्तार किए गए 13 में से 12 लोग भ्रष्टाचार में भी शामिल थे। उन्होंने बड़ी मात्रा में सस्ते और घटिया नेटिंग खरीदे थे और दिखावे के लिए थोड़ी मात्रा में उच्च गुणवत्ता की जाली भी ली गई थी ताकि निरीक्षण के दौरान भ्रम पैदा किया जा सके।
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यह त्रासदी न केवल सुरक्षा मानकों की अनदेखी का गंभीर उदाहरण है, बल्कि प्रशासनिक निरीक्षण प्रणाली पर भी सवाल खड़े करती है। फिलहाल, जांच जारी है और सरकार ने भविष्य में ऐसी चूक रोकने के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल सख्त करने की घोषणा की है।