
चार मिनट में राख हुआ पूरा बसेरा, चार मिनट में राख हुआ पूरा बसेरा.
Hong Kong Building Fire News: हॉन्गकॉन्ग में 26 नवंबर को हुआ अग्निकांड शहर के इतिहास के सबसे भयावह हादसों में से एक साबित हुआ है। ताई पो जिले स्थित वांग फुक कोर्ट अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स में लगी इस आग ने कुछ ही मिनटों में 31 मंजिला इमारत को आग की लपटों में बदल दिया।
यह कॉम्प्लेक्स 1983 में बना था और ताई पो का सबसे ऊंचा रिहायशी क्षेत्र माना जाता है, जहां करीब 2,000 फ्लैट्स हैं और 2021 की जनगणना के अनुसार लगभग 4,643 लोग रहते थे।
आग सबसे पहले दोपहर के वक्त 2:50 बजे वांग चेओंग हाउस की बाहरी दीवारों पर लगी स्कैफोल्डिंग में दिखी। उस समय कॉम्प्लेक्स में रेनोवेशन का काम जारी था, जिसकी वजह से सभी इमारतें बांस की स्कैफोल्डिंग और हरी प्लास्टिक नेटिंग से ढकी हुई थीं। रिपोर्ट्स में सामने आया है कि आग स्कैफोल्डिंग की हरी नेटिंग से शुरू हुई और देखते ही देखते इमारत की ऊंचाई की ओर तेजी से फैल गई।
सरकार ने मार्च 2025 से बांस स्कैफोल्डिंग पर प्रतिबंध लगा दिया था, क्योंकि यह बेहद ज्वलनशील होती है। लेकिन कॉम्प्लेक्स की मरम्मत महीनों से चल रही थी और पुराने बांस ढांचे का उपयोग किया जा रहा था।
जांच रिपोर्टों के अनुसार, इमारत के खिड़कियों और लिफ्ट की दीवारों को ढकने के लिए इस्तेमाल किए गए स्टायरोफोम और पॉलीस्टाइरीन बोर्ड आग पकड़ने में अत्यधिक संवेदनशील होते हैं। इन्हीं ज्वलनशील सामग्रियों ने आग को बेकाबू बना दिया। कुछ ही मिनटों में आग 4 से 7 ब्लॉक्स तक फैल गई। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि आग शुरू होने के चार से पांच मिनट में पूरी इमारत आग से घिर चुकी थी, जिससे लोगों को भागने का मौका नहीं मिला।
हॉन्गकॉन्ग पुलिस ने शुरुआती जांच के आधार पर ठेकेदार समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। आग की वजह शुरुआती तौर पर सिगरेट के जलते टुकड़े को माना जा रहा है, हालांकि आधिकारिक पुष्टि अभी बाकी है।
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इस घटना को लेवल-5 फायर कैटेगरी दी गई है, जो हॉन्गकॉन्ग में आग की सबसे खतरनाक श्रेणी मानी जाती है। हादसे के बाद प्रभावित परिवारों के लिए अस्थायी शेल्टर की व्यवस्था की गई है।
हालांकि हॉन्गकॉन्ग के इतिहास में सबसे बड़ा अग्निकांड 27 फरवरी 1918 का हैप्पी वैली रेसकोर्स का है, जिसमें 600 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। 1948 के एक गोदाम हादसे में भी 176 लोगों की जान गई थी। लेकिन आधुनिक समय में यह हादसा सबसे बड़ा और सबसे विनाशकारी माना जा रहा है।






