लश्कर-ए-तैयबा ने बांग्लादेश में बढ़ाई सक्रियता (सोर्स- सोशल मीडिया)
India-Bangladesh Relations: खूंखार आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का प्रमुख हाफिज मोहम्मद सईद बांग्लादेश में तेजी से अपने प्रभाव का विस्तार कर रहा है। हाल ही में, 25 अक्टूबर को मरकजी जमीयत अहल-ए-हदीस का वरिष्ठ सदस्य और सईद का करीबी सहयोगी, मौलाना इब्तिसाम इलाही जहीर, ढाका पहुंचा। उसने 27 अक्टूबर को भारत-बांग्लादेश सीमा के पास स्थित चपैनवाबगंज का दौरा किया।
लश्कर-ए-तैयबा कमांडर के दौरे से पहले पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने भी पूर्वोत्तर भारत को अस्थिर करने की कोशिशें की थीं। इस दौरे को इस्लामी तकरीरों से जोड़ा जा रहा है, लेकिन उसकी गतिविधियां खास तौर पर भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में एक बड़ी साजिश का संकेत देती हैं। इब्तिसाम इलाही जहीर का यह बांग्लादेश दौरा खुफिया एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बन चुका है। जहीर, जो मरकजी जमीयत अहल-ए-हदीस के महासचिव हैं। 25 अक्टूबर को शाम के समय राजशाही स्थित शाह मकदूम हवाई अड्डे पर उतरे थे।
भारतीय सीमा का दौरा
जानकारी के मुताबिक रज्जाक अल जामिया अस सलीफा का सदस्य है, जो बांग्लादेश में अहल-ए-हदीस आंदोलन से जुड़ा एक इस्लामिक रिसर्च संस्थान है। बताया जा रहा है कि जहीर और शेख अब्दुल रज्जाक बिन यूसुफ ने बांग्लादेश के चपैनवाबगंज सहित कुछ सीमावर्ती इलाकों का दौरा किया, जहां उन्होंने स्थानीय मस्जिदों में बैठकें आयोजित करने की योजना बनाई।
रिपोर्टों के अनुसार, जहीर का बांग्लादेश में एक और यात्रा कार्यक्रम है, जिसमें वह 29 और 31 नवंबर के बीच रंगपुर, लालमोनिरहाट और निलफामारी जैसे क्षेत्रों का दौरा करेंगे। इसके अलावा, वह 1 नवंबर को जॉयपुरहाट और 2 नवंबर को नागांव में भी रहेंगे, और 6-7 नवंबर को राजशाही के पाबा उपजिले के डांगीपारा में एक बड़े सलाफी सम्मेलन को संबोधित करेंगे।
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जहीर की बांग्लादेश यात्रा को भारत-बांग्लादेश सीमा के नजदीक उसकी बढ़ती सक्रियता के कारण पूर्वोत्तर भारत के लिए एक गंभीर खतरा माना जा रहा है। जहीर एक कट्टरपंथी मौलाना है, जो पहले भी गैर-मुसलमानों के खिलाफ हिंसा को प्रोत्साहित कर चुका है। उसकी मौजूदगी और गतिविधियां इस क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर नई चुनौतियां उत्पन्न कर सकती हैं, खासकर जब भारत-बांग्लादेश सीमा का अधिकांश हिस्सा खुला है, जिससे घुसपैठ और अन्य अवांछनीय गतिविधियों को बढ़ावा मिल सकता है।