गाजा सीजफायर पर ट्रंप की पैनी नजर, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Israel Hamas Ceasefire: इजरायल और हमास के बीच चल रहा युद्ध अब समाप्ति की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है। दोनों पक्षों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रस्तावित “गाजा शांति योजना” के पहले चरण पर अपनी सहमति दे दी है। काहिरा में हुई वार्ता के दौरान यह समझौता तय हुआ। इस पहले चरण के तहत हमास उन इजरायली नागरिकों को रिहा करेगा जिन्हें उसने बंदी बना रखा है, जबकि अमेरिका गाजा में शांति समझौते की निगरानी के लिए 200 सैनिक इजरायल भेजेगा।
अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, गुरुवार को यह जानकारी दी गई कि अमेरिका गाजा में युद्धविराम समझौते की निगरानी और समर्थन के उद्देश्य से करीब 200 सैनिक इजरायल भेज रहा है। इस टीम में सहयोगी देशों के प्रतिनिधि, गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) के सदस्य और निजी क्षेत्र से जुड़े लोग भी शामिल होंगे।
अमेरिकी केंद्रीय कमान (CENTCOM) इजरायल में एक नया नागरिक-सैन्य समन्वय केंद्र स्थापित करने जा रही है। इसका उद्देश्य पिछले दो वर्षों से संघर्ष झेल रहे क्षेत्र में मानवीय सहायता, रसद और सुरक्षा सहयोग को सुचारू बनाना है। ट्रंप प्रशासन की संघर्ष-विराम योजना के पहले चरण पर इजरायल और हमास की सहमति के बाद अब आगे के कदमों को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं जैसे हमास का निरस्त्रीकरण, गाज़ा से इजरायली सेना की वापसी, और भविष्य की नागरिक सरकार का गठन।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह नई टीम युद्धविराम समझौते के कार्यान्वयन और गाज़ा में नागरिक शासन के संक्रमण की निगरानी में सहयोग करेगी। इस केंद्र में करीब 200 अमेरिकी सैनिक तैनात किए जाएंगे, जो परिवहन, योजना, सुरक्षा, रसद और इंजीनियरिंग के विशेषज्ञ होंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि गाज़ा के अंदर कोई अमेरिकी सैनिक नहीं भेजा जाएगा। दूसरे अधिकारी के अनुसार, ये सैनिक अमेरिकी केंद्रीय कमान और दुनिया के अन्य क्षेत्रों से बुलाए जा रहे हैं। सैनिकों का पहुंचना शुरू हो गया है, और वे वीकेंड के दौरान क्षेत्र का दौरा कर समन्वय केंद्र की स्थापना के लिए योजनाओं और प्रारंभिक तैयारियों पर काम करेंगे।
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गाजा में युद्ध रोकने की दिशा में बुधवार को एक अहम समझौता हुआ। अमेरिका और क्षेत्रीय मध्यस्थों ने इजरायल और हमास, दोनों पर उस विनाशकारी लड़ाई को समाप्त करने का दबाव बनाया जिसने गाजा पट्टी को तबाह कर दिया, हजारों फिलिस्तीनियों की जान ली, अन्य संघर्षों को भड़काया और इजरायल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग कर दिया। इस पहल के पहले चरण में यह सहमति बनी है कि इजरायल सैकड़ों फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करेगा, जिसके बदले में आने वाले कुछ दिनों में शेष जीवित इजरायली बंधकों को मुक्त किया जाएगा।