
गाजा में सिर्फ मुस्लिम सेना, फोटो, (सो. सोशल मीडिया)
Muslim Soldiers in Gaza: गाजा और इजरायल के बीच हुए युद्धविराम के बाद अब नए स्थिरीकरण बल (Stabilization Force) को लेकर चर्चा तेज हो गई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता से हुए इस समझौते के बाद गाजा में सुरक्षा की जिम्मेदारी अब मुस्लिम देशों के सैनिकों को सौंपी जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक, यह फोर्स पूरी तरह मुस्लिम देशों से बनी होगी ताकि स्थानीय स्तर पर धार्मिक और राजनीतिक तनाव को कम किया जा सके। हालांकि, इस फोर्स की भूमिका और अधिकारों को लेकर अभी भी देशों के बीच मतभेद जारी हैं।
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह सेना हमास को निशस्त्र करेगी या फिर केवल शांति बनाए रखने का कार्य करेगी। कई देशों का मानना है कि बलपूर्वक कार्रवाई करने से फिर से हिंसा भड़क सकती है। जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि अंतरराष्ट्रीय सैनिक जबरन हमास को निशस्त्र करेंगे। उनके अनुसार, यह फोर्स शांति बनाए रखने के उद्देश्य से ही होनी चाहिए न कि बलपूर्वक शांति लागू करने के लिए।
इजरायल ने तुर्की और कतर के सैनिकों को गाजा में किसी भी जमीनी भूमिका देने का सख्त विरोध किया है। इजरायल का तर्क है कि दोनों देशों का झुकाव मुस्लिम ब्रदरहुड की विचारधारा की ओर है जो हमास से जुड़ी हुई है। वहीं, इंडोनेशिया, मिस्र और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से इस मिशन में सहयोग की उम्मीद की जा रही है। रिपोर्टों के अनुसार, इजरायल का साफ कहना है कि कोई भी पश्चिमी या गैर-मुस्लिम सैनिक गाजा में तैनात नहीं होंगे।
युद्धविराम के बाद गाजा पट्टी को संभालने के लिए बनाए गए नए नागरिक-सैन्य कमांड सेंटर का संचालन अमेरिका कर रहा है। हालांकि, जमीनी स्तर पर तैनात सैनिक मुस्लिम देशों के होंगे। इस महीने की शुरुआत में ब्रिटेन ने भी अपने सैनिकों को इजरायल भेजा था जो अमेरिकी नेतृत्व वाले अंतरराष्ट्रीय टास्क फोर्स का हिस्सा हैं। इसका उद्देश्य गाजा में युद्धविराम की निगरानी करना है।
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तुर्की के विदेश मंत्री हाकान फिदान ने शुक्रवार को बताया कि मुस्लिम देशों के विदेश मंत्री सोमवार को इस्तांबुल में बैठक करेंगे। इसमें तुर्की, कतर, सऊदी अरब, मिस्र, यूएई, जॉर्डन, पाकिस्तान और इंडोनेशिया शामिल होंगे। बैठक में युद्धविराम की स्थिरता और आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी।






