इजराइल-ईरान तनाव (कॉन्सेप्ट फोटो)
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप G-7 शिखर सम्मेलन को बीच में ही छोड़कर वॉशिंगटन लौट रहे हैं। मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव के बीच ट्रंप ने कनाडा में हो रहे G-7 शिखर सम्मेलन से एक दिन पहले यह फैसला किया है। इजरायल और ईरान के बीच तनाव के चलते ट्रंप ने लोगों को तेहरान तुरंत खाली करने की चेतावनी भी दी है। ट्रंप का G-7 शिखर सम्मेलन से जल्दी लौटना और सदस्य देशों का इजरायल को खुला समर्थन क्या संकेत देता है?
राष्ट्रपति की वापसी पर व्हाइट हाउस ने कहा कि ट्रंप मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव के बीच कई अहम मुद्दों पर फोकस करने के लिए वापस लौट रहे हैं। माना जा रहा है कि अमेरिका इजराइल के साथ मिलकर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ईरान पर शिकंजा कसने की कोशिश करेगा। इसीलिए राष्ट्रपति ट्रंप मंगलवार रात को G7 शिखर सम्मेलन में राष्ट्राध्यक्षों के साथ डिनर के बाद अमेरिका के लिए रवाना हो जाएंगे।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अमेरिका युद्ध में शामिल होने जा रहा है, वो कौन से अहम मुद्दे हैं जिनके लिए ट्रंप शिखर सम्मेलन छोड़कर वापस लौट रहे हैं। ट्रंप पहले भी इजरायल का खुलकर समर्थन कर चुके हैं, लेकिन अभी तक अमेरिका ने सीधे तौर पर युद्ध में उतरने का ऐलान नहीं किया है।
IRAN SHOCKS THE WORLD WITH IT’S MIGHT⚡️⚔️ 🗓15.06.2025
Iran demolished a building in Tel Aviv with its ballistic missile. The defence systems were just missing.
Israel never thought of such consequences.#IsraelIranWar #Tehran #TelAviv #IranUnderAttack #IsraelUnderAttack pic.twitter.com/dZi4c3Onns — Barbarik (@Sunny_000S) June 15, 2025
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयानों से इस बात के संकेत मिलते है कि अमेरिका इजरायल का पुरजोर समर्थन कर रहा है, लेकिन अभी तक अमेरिका ने इन हमलों में अपनी सीधी संलिप्तता से इनकार किया है।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने हाल ही में कहा था कि इजरायल ने ईरान के खिलाफ हाल ही में एकतरफा हमले किए हैं और अमेरिका इन हमलों में शामिल नहीं है। अमेरिका की प्राथमिकता क्षेत्र में अपने बलों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। लेकिन बदलते माहौल में अमेरिका इस संघर्ष में अगुवाई कर सकता है।
इजराइल ने अमेरिका से खुलकर समर्थन मांगा है और अमेरिका इस पर विचार भी कर रहा है। इजराइल ने अमेरिका से अपील की है कि वह ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नष्ट करने के लिए सैन्य अभियान में शामिल हो। यह अपील खास तौर पर उन परमाणु सुविधाओं पर केंद्रित है जो जमीन के अंदर गहराई में हैं और अमेरिका के पास उन्हें तबाह करने के लिए विशेष हथियार हैं।
जी-7 के सभी देशों ने खुलकर इजरायल का समर्थन किया है और ईरान पर तनाव कम करने का दबाव बनाया है। जी-7 सदस्यों का कहना है कि ईरान को परमाणु हथियार बनाने का अधिकार नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि इजरायल को अपनी आत्मरक्षा में कदम उठाने चाहिए।
#Iran citizens escape capital #Tehran and markets shut down as Israeli jets dominate city skies and agents on the ground assassinate senior regime officials. Some clips viral on Iranian and Arab social media in this #thread 1/5pic.twitter.com/dFHFbeVeX2 — Ahmed Quraishi (@_AhmedQuraishi) June 16, 2025
ग्लोबल प्लेटफॉर्म से इजरायल को खुला समर्थन मिलने से उसके इरादे मजबूत होंगे, ऐसे में ईरान पर चल रहे हमले और तेज हो सकते हैं। साथ ही ट्रंप इस शिखर सम्मेलन के दौरान सदस्य देशों के नेताओं से तनाव पर चर्चा करके लौट रहे हैं।
अमेरिका ने पहले ही मिडिल ईस्ट में अपनी सैन्य तैनाती बढ़ा दी है, जिसमें बी-2 स्टील्थ बॉम्बर और अन्य सैन्य उपकरण शामिल हैं। यह तैनाती संभावित क्षेत्रीय युद्ध की स्थिति में जवाबी कार्रवाई की तैयारी का संकेत दे रही है। ट्रंप ने यह भी कहा है कि अगर ईरान अमेरिकी हितों या सैन्य ठिकानों पर हमला करता है, तो उसका कड़ा जवाब दिया जाएगा, जो अमेरिका की सैन्य तत्परता को दर्शाता है।
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ट्रंप प्रशासन ने ईरान के साथ परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने की कोशिश की है। ट्रंप ने 60 दिन का अल्टीमेटम दिया था, जो बिना किसी समझौते के खत्म भी हो गया। ऐसे में ट्रंप के पास ईरान को सबक सिखाने का बहाना भी है। ईरान ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया और दावा किया कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है। हालांकि, इजरायली हमलों ने इन वार्ताओं को बाधित किया है, जिससे क्षेत्रीय तनाव और बढ़ गया है।
इजरायली हमलों और अमेरिकी चेतावनियों ने मध्य पूर्व में तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है। ईरान ने जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है, जिसमें अमेरिकी ठिकानों को निशाना बनाना भी शामिल है। फ्रांस जैसे जी7 देशों ने युद्धविराम और कूटनीतिक समाधान की वकालत की है, लेकिन ईरान के खिलाफ ट्रंप का रुख ज्यादा आक्रामक नजर आ रहा है।