भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी
नई दिल्ली: चीन और राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों पर विशेषज्ञ माने जाने वाले अनुभवी राजनयिक विक्रम मिसरीने सोमवार को भारत के नए विदेश सचिव का पदभार संभाल लिया। भारतीय विदेश सेवा के 1989 बैच के अधिकारी मिस्री ने विनय क्वात्रा का स्थान लिया है। वह इससे पहले राष्ट्रीय उप सुरक्षा सलाहकार के रूप में काम कर रहे थे।
59 वर्षीय मिसरी ने ऐसे वक्त में यह महत्वपूर्ण पद संभाला है जब भारत कई भू-राजनीतिक चुनौतियों से निपटने की कोशिश कर रहा है जिसमें पूर्वी लद्दाख सीमा पर जारी गतिरोध के बाद चीन के साथ उसके तनावपूर्ण संबंध और रूस-यूक्रेन संघर्ष के परिणाम भी शामिल हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने नई जिम्मेदारी संभालने पर मिसरी को बधाई दी।
विदेश मंत्री ने दी बधाई
एस. जयशंकर ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि विदेश सचिव विक्रम मिस्री को आज नयी जिम्मेदारी संभालने पर बधाई देता हूं। उन्हें सार्थक और सफल कार्यकाल की शुभकामना देता हूं। मिसरी विदेश मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय और यूरोप, अफ्रीका, एशिया और उत्तर अमेरिका में विभिन्न भारतीय दूतावासों में कई पदों पर कार्य कर चुके हैं। उन्हें तीन प्रधानमंत्रियों – इंदर कुमार गुजराल, मनमोहन सिंह और नरेन्द्र मोदी के निजी सचिव के रूप में काम करने का अनुभव है।
दो साल का कार्यभार
नियमों के मुताबिक, मिसरी का विदेश सचिव के तौर पर न्यूनतम दो साल का कार्यकाल होना तय है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा कि विक्रम मिस्री ने आज विदेश सचिव के तौर पर प्रभार संभाला। विदेश मंत्रालय विदेश सचिव मिस्री का गर्मजोशी से स्वागत करता है और उन्हें सफल कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं देता है।
गलवान घाटी में झड़पों के मामले को संभाला
मिसरी राष्ट्रीय उप सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किए जाने से पहले 2019-2021 तक चीन में भारत के राजदूत के तौर पर काम कर चुके थे। ऐसा माना जाता है कि मिस्री ने जून 2020 में गलवान घाटी में झड़पों के कारण पैदा हुए तनाव के बाद भारत और चीन के बीच वार्ता में अहम भूमिका निभायी। गलवान घाटी में भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव पैदा हो गया। यह दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था।
इन देशों में रहे बतौर भारत के राजदूत
अपने शानदार करियर में मिस्री स्पेन 2014-16 तक और म्यांमार में 2016-18 तक भारत के राजदूत भी रहे। इसके अलावा उन्होंने पाकिस्तान, अमेरिका, जर्मनी, बेल्जियम और श्रीलंका समेत कई भारतीय दूतावासों में विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं दीं। मिसरी का जन्म श्रीनगर में हुआ और उनकी प्रारंभिक शिक्षा वहीं बर्न हॉल स्कूल और डीएवी स्कूल हुई। साथ ही उन्होंने जम्मू कश्मीर के उधमपुर में कार्मल कॉन्वेंट स्कूल से भी पढ़ाई की।
विक्रम मिसरी की शिक्षा
मिसरी ले अपनी स्कूली शिक्षा ग्वालियर में सिंधिया स्कूल से पूरी की, दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से इतिहास में स्नातक की डिग्री ली और जमशेदपुर के एक्सएलआरआई से एमबीए किया। सरकारी सेवा से पहले उन्होंने विज्ञापन और विज्ञापन फिल्म निर्माण के निजी क्षेत्र में तीन साल तक काम किया। उन्होंने डॉली मिस्री से विवाह किया और उनके दो बच्चे हैं।
भविष्य को लेकर ऐसा है कयास
ऐसी जानकारी है कि सरकार अमेरिका में भारत के अगले राजदूत और न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में नई दिल्ली के स्थाई प्रतिनिधि को नियुक्त करने की तैयारी में भी है। माना जाता है कि वाशिंगटन में भारत का राजदूत बनने की दौड़ में क्वात्रा का नाम सबसे आगे है। तरनजीत संधू के जनवरी में सेवानिवृत्त होने के बाद से यह पद खाली है। पिछले महीने रुचिरा कम्बोज के सेवानिवृत्त होने के बाद से संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि का पद भी खाली है।