डेनमार्क में ड्रोन उड़ाने पर भी लगी सख्त पाबंदी, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Denmark drone ban: डेनमार्क इस समय हाई अलर्ट पर है। कई सैन्य ठिकानों के ऊपर संदिग्ध ड्रोन उड़ते देखे जाने के बाद सरकार ने कड़ा फैसला लेते हुए नागरिक ड्रोन उड़ानों पर पूरी तरह रोक लगा दी है और एयरस्पेस को भी कुछ समय के लिए बंद करना पड़ा है। हाल ही में ड्रोन की वजह से कोपेनहेगन एयरपोर्ट समेत कई बड़े हवाई अड्डों की उड़ानें घंटों तक प्रभावित रही थीं।
अब जब डेनमार्क यूरोपीय संघ के नेताओं और यूरोपियन पॉलिटिकल कम्युनिटी की अहम बैठक की मेजबानी करने वाला है, तो सुरक्षा इंतजाम इतने मजबूत कर दिए गए हैं कि उन्हें लोहे की दीवार कहा जा सकता है।
डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसेन ने कहा है कि ड्रोन गतिविधियों के पीछे रूस का हाथ हो सकता है, हालांकि मास्को ने इससे साफ इनकार किया है। डेनमार्क सरकार ने इस घटना को हाइब्रिड अटैक बताया है। रक्षा मंत्री ट्रोल्स लुंड पोउलसन ने घोषणा की कि सोमवार से शुक्रवार तक नागरिक ड्रोन उड़ाने पर पूरी तरह रोक रहेगी। सरकार का कहना है कि इस अवधि में देश की सुरक्षा से किसी भी तरह का समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
डेनमार्क के रक्षा मंत्री ट्रोल्स लुंड पोउलसन ने चेतावनी दी कि हालात बेहद नाजुक और खतरनाक हैं। उन्होंने कहा कि सेना और पुलिस को पूरी तरह सुरक्षित माहौल देना हमारी प्राथमिकता है। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जर्मनी का अत्याधुनिक एयर डिफेंस फ्रिगेट कोपेनहेगन पहुंच चुका है। यह हाई-टेक जहाज पूरे सप्ताह हवाई क्षेत्र पर निगरानी रखेगा। डेनमार्क का यह सख्त कदम साफ संकेत देता है कि यूरोप अब किसी भी तरह की लापरवाही को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा।
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ये घटना इस बात का संकेत है कि यूरोप अब ड्रोन युद्ध और हाइब्रिड हमलों जैसी नई चुनौतियों से जूझ रहा है। डेनमार्क का एयरस्पेस बंद करना महज प्रशासनिक कदम नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को भेजा गया एक चेतावनी संदेश है। वहीं, दूसरे नजरिए से देखें तो यह भी साफ झलकता है कि रूस का खौफ इन देशों पर इतना गहरा असर डाल चुका है कि वे अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लगातार चिंतित और दबाव में दिखाई दे रहे हैं।