(Photo-UCL)
नई दिल्ली: दो वर्षों से ज्यादा चल रही इस कोरोना महामारी में लोगों ने अपना बहुत कुछ गवाया है। हालांकि इस बीमारी से कई लोग अब सुधर चुके है लेकिन आपको बता दें कि कोविड-19 संक्रमण के बाद आपके शरीर के अंगों में काफी ज्यादा बदलाव आता है। साथ ही शरीर के सभी अंगों का काम करने का तरीका बदल जाता है। यह बदलाव नुकसानदेह होते हैं। आइये जानते है इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी……..
दरअसल पहली बार वैज्ञानिकों ने कोविड-19 संक्रमण के बाद शरीर में आए बदलावों का थ्रीडी स्कैन किया। शरीर के कई अंगों की रंगीन तस्वीरे निकाली। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया (UCL) और यूरोपियन सिंक्रोट्रॉन रिसर्च फैसिलिटी (ESRF) ने एक नई तकनीक का उपयोग करके कोरोना संक्रमण से पहले और बाद के अंगों का स्कैन किया और इस तकनीक का नाम हैरार्कियल फेज कंट्रास्ट टोमोग्राफी (HiP-CT) है।
आपको बता दें कि इस तकनीक से शरीर के विभिन्न अंगों के रंगीन स्कैनिंग और थ्रीडी इमेज तैयार की जाती है। यह तकनीक इतनी ताकतवर है कि यह अंग के कोशिकाओं यानी सेल्स के लेवल पर जाकर फोटोग्राफी कर सकती है।
बता दें की इसका एक्स-रे फ्रांस के ग्रेनोबल में स्थित ESRF ने बनाया है। ESRF में इस रंगीन एक्स-रे बनाने के लिए एक्सट्रीमली ब्रिलियंट सोर्स अपग्रेड तकनीक का उपयोग किया गया है, जिसकी वजह से अस्पताल के एक्स-रे से ESRF एक्स-रे 100 करोड़ गुना ज्यादा चमकदार और स्पष्ट हो जाता है। यानी आप किसी भी अंग की कोशिकाओं में हुए अंतर या बदलाव को आसानी से सीधे स्क्रीन पर देख सकते हैं।
इतना ही नहीं बल्कि आप बेहद सूक्ष्म स्तर पर जाकर यानी उन नसों को भी देख सकते हैं, जो पांच माइक्रोन व्यास की हैं। यानी बाल के व्यास का दसवां हिस्सा ऐसी नसें इंसानी फेफड़ों में पाई जाती हैं।
क्लीनिकल सीटी स्कैन यानी अस्पतालों में उपयोग होने वाला स्कैन खून की नसों को सिर्फ 1 मिलीमीटर व्यास तक ही दिखा पाता है। UCL मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग की साइंटिस्ट डॉ. क्लेयर वॉल्श ने कहा कि शरीर के किसी अंग को अगर हम एक बार में इतने सूक्ष्म स्तर पर जाकर देख सकते हैं, तो इससे चिकित्सा विज्ञान में इससे बड़ा रेवोल्यूशन कुछ नहीं होगा।
हमने HiP-CT को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से क्लीनिकल तस्वीरों का एनालिसिस किया। जो नतीजे सामने आए वो चौंकाने वाले थे। हमने कोविड-19 संक्रमण के बाद सभी अंगों का स्कैन किया।
वैज्ञानिकों ने देखा कि कोविड-19 संक्रमण के बाद नसों में खून की सप्लाई रुकती है। इसमें दो तरह के सिस्टम बाधित होते हैं। पहला खून में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली बारीक नसें और दूसरी जो फेफड़ों के ऊतक यानी टिश्यू में खाद्य सामग्री पहुंचाते हैं। अगर ये दोनों बाधित हो जाएं तो शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। हालांकि, इस बात को पहले प्रमाणित नहीं किया जा सका था। ये स्टडी हाल ही में नेचर जर्नल में प्रकाशित हुई है।
बता दें कि जर्मनी स्थित हैनोवर मेडिकल स्कूल में थोरेसिक पैथोलॉजी के प्रोफेसर डैनी जोनिक ने कहा कि मॉलिक्यूलर तरीकों और HiP-CT के मल्टीस्केल इमेजिंग की मदद से कोविड-19 निमोनिया संक्रमित फेफड़ों की जांच की गई। हमें फेफड़ों के अंदर खून की नसों के शंटिंग के नए आयाम पता चले। इसमें दो तरह के सिस्टम को जांचने का अलग-अलग मौका मिला है।
इस तकनीक की वजह से हमें यह पता चल पा रहा है कि कोविड-19 से पहले अंगों की स्थिति कैसी थी और संक्रमण के बाद वह किस स्थिति में है। इस तकनीक की वजह से इंसान की शारीरिक क्रियाओं को समझने के लिए काफी मदद होगी।
ESRF के प्रमुख वैज्ञानिक प्रो. पॉल टैफोरियु ने बताया कि HiP-CT को बनाने का आइडिया कोरोना महामारी के बाद ही आया। क्योंकि पूरी दुनिया में इस बात की व्यवस्था नहीं थी कि शरीर के अंगों की बारीक जांच की जा सके। हम तस्वीरों को बड़ा कर सकते थे। आमतौर पर शरीर के अंगों की तस्वीर बहुत धुंधली आती है।
इसलिए उनकी चमक बढ़ाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी। लेकिन इस तकनीक से हम अंगों के तस्वीरों की सही मात्रा में चमक बढ़ा सकते हैं। इससे अंगों की बारीक और छिपी हुई नसें दिखने लगती हैं। जिससे शरीर में हो रहे बदलाव बड़े ही आसानी से हम देख सकते है।